_प्रदेश में साढ़े 5 इंच तक वर्षा, 311 बांधों में आवक, 10 ओवरफ्लो


जयपुर।बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ में 4 दिन भारी बारिश का अलर्ट चौमासा यानी राजस्थान के लिए बड़ा उत्सव। खास तौर पर श्रावण। चौमासे में बादल जब उम्मीदों के अनुसार बरसते हैं तो पूरे साल धान-पानी, हरियाली और आजीविका की कमी नहीं रहती। इसीलिए लोग जितनी बेसब्री से बादलों का इंतजार करते हैं, बारिश आने पर उतने ही उत्साह से स्वागत भी करते हैं। बादल ठीक से न बरसें तो भरपूर उलाहना भी देते हैं। ज्यादा बरस पड़े तो रुकने की अर्जी भी लगाते हैं।_
बादल और बारिश से मरुधरा के इस संबंध पर कई ग्रंथ तक लिखे गए हैं। इन्हीं में शामिल है चंद्रसिंह बिरकाळी लिखित काव्य ग्रंथ ‘बादळी’ जिसमें पूरे चार महीनों का परिदृश्य बखूबी खींचा गया है। अब तक प्रदेश के मानसून का हाल आज इन्हीं दोहों में।
इस साल मानसून प्रदेश पर मेहरबान है। प्रदेश में सामान्य से 24.2% अधिक बारिश हो चुकी है। गुरुवार को भी कई जिलों में साढ़े 5 इंच तक बारिश हुई।
एक लाख आबादी की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर में 2 पानी पानी आया
वूठी जोरां वादळी टूट्या टीबड़िया
नाडा खाडा डैरियां तालरिया भरिया
(बादली जोर से बरसी, टीले टूट गए और नाले-खड्डे, डैर और ताल भर गए)
गुरुवार को झालावाड़ के डग में सर्वाधिक 5.5 इंच बारिश हुई। जयपुर में भी बारिश का दौर चला। बीसलपुर में 2 सेमी पानी आया। इसका जलस्तर 309.14 आरएल मीटर पहुंच चुका है। 311 बांधाें में आवक जारी, 10 ओवरफ्लो हो चुके हैं।
संभागों में बारिश सरप्लस, प्रदेश में औसत से 24.2% ज्यादा
आभो धररायो अबै आयो सावण मास
पूरै मन सूं पूरसी आज धरा री आस
(आकाश धर्रा रहा है, अब सावन का महीना आ गया है। आज पूरे मद से यह धरा की आशा पूर्ण करेगा)
प्रदेश में 139.96 मिमी के मुकाबले 173.84 मिमी (+24.2%) अिधक बारिश हो चुकी है। साताें संभाग में बारिश सरप्लस है। 19 जिलों में सामान्य से अधिक व 12 में सामान्य बारिश हुई है। केवल प्रतापगढ़ और सिराेही में सामान्य से कम बारिश हुई।
अगले 3-4 दिन भारी बारिश संभव
आस लगायां मुरधरा देख रही दिन रात
भागी आ तूं बादळी, आयी रुत वरसात
(मरुधरा तुम्हारी आशा लगाए दिन-रात देख रही है। बादली, तू दौड़ी आ, वर्षा ऋतु आ गई है)
मौसम विभाग के अनुसार, अगले 3-4 दिन बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ में भारी बारिश के आसार हैं।
इस बार 98.72 लाख हेक्टे. में बुवाई
किरसाणां हळ सांभिया चित में आयो चेत
हरख भर्य सै पूगिया अपणै-अपणै खेत
(किसानों ने हल संभाले, सबके चित्त में चेतना व्याप्त है। आनन्दमग्न होकर खेतों में पहुंच गए हैं)
प्रदेश में इस बार खरीफ के लक्ष्य 164.17 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 14 जुलाई तक 98.72 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है। शेष | पेज 4
उठती दीसी बादळी मऊ रह्या जे आज
घर कानी जी चालियो सुण-सुण मधरी गाज
बादली को देखकर और उसका गर्जन सुनकर प्रवासियों का मन भी घर लौटने को आतुर है।)
जळहर ऊंचा आविया बोल रह्या जळ-काग
देण बधाई मेह री रह्या कनैया भाग
जलधर ऊंचे आ गए, जल-काग बोल रहे। मेह की बधाई देने कन्हैया पक्षी दौड़ रहे हैं)
छिन में तावड़ तड़तड़ै छिन में ठंडी छांह वादळियां भागी फिरै घात पवन गळ बांह (क्षण भर में आतम प्रचंड हो उठती है और दूसरे ही क्षण ठंडी छाया हो जाती है। पवन के गले में बांह डाले बादलियां भागती फिर रही हैं)
वीजां अंकुर कूटिया अळसाया सरसाय।
हरिया-भरिया फूलड़ा फूल्या-फळिया जाय।।
(बीजों के अंकुर फूट आए हैं, अलसाए सरसित हो उठे हैं और हरे-भरे फूल फलने-फूलने लगे हैं)
खंडवृष्टि के हालात
कठैक वंजड़ वरसगी कठैक आधै खेत।
तरसा मत इण रीत सूं वदळी वरस सचेत।।
(कहीं तो बंजर में बरस गई और कहीं आधे खेत में ही। इस प्रकार तरसाओ मत। बादली, सचेत होकर बरसो)
पड़ड़-पड़ड़ बूंदां पड़ै गड़ड़-गड़ड़ घण गाज/ कड़ड़-कड़ड़ वीजळ करै धड़ड़-धड़ड़ धर आज
बूंदें पड़ड़-पड़ड़ गिर रही हैं, बादल गड़ड़-गड़ड़ गरज रहे हैं। बिजली कड़ड़-कड़ड़ चमक रही है, धरा पर आज चहुं ओर धड़ड़-धड़ड़ की आवाज है।