– मानवीय मूल्यों एवं सांस्कृतिक चेतना के अग्रदूत रहे है कवि जानकी वल्लभ -कामिनी भोजक
बीकानेर 5 फरवरी -भारत के महान कवि कथाकार महान छंद रचनाकार आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री की 104 वी जयन्ती पर कल्याण फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा श्रद्धांजलि और शब्दाजंलि आयोजित की गई
महाकवि के तेल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए फाउंडेशन की निदेशक कामिनी भोजक ने कहा कि जानकी वल्लभ शास्त्री छायावादोत्तर काल के सुविख्यात कवि थे| उनके जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कामिनी भोजक ने कहा कि शास्त्री का जनम बिहार के गया जिले के मेगरा गाँव के शाकद्वीपीय ब्राह्मण परिवार में हुआ बचपन से ही शास्त्री जी का रुझान कविता पाठ और तुकबन्दी करने में रहा और सन 40 के दशक में उन्होंने काव्य कथाएं लिखी जो कि “गाथा” नामक उनके संग्रह में संकलित है| कामिनी ने कहा कि उनके सृजनात्मक श्रेणी में राधा जैसा सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य लिखा जो आज भी लोगो की पसनद है| उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके सृजन को नमन करते हुए उन्हें भारत भारती पुरष्कार से सम्मानित किया
प्रवक्ता नितिन वत्सस ने कहा कि शास्त्री जी का काव्य संसार और उनकी कृतियां काफी लोकप्रिय रहे है और आज भी हिंदी गीतों का जो व्यापक दायरा देखा जा रहा है उसमे शास्त्री जी के नए नए प्रयोग का काफी योगदान है उनके काव्य की महत्ता को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पदमश्री सम्मान से समानित किया यह बात दीगर है कि वो उन्होंने लिया नही
समाजसेवी रमेश ने उनके कहानी संग्रह कानन, अपर्णा, और बांसों का झुरमुट से प्रसंग सुनाते हुए उन्हें शब्दाजंलि अर्पित की
वरिष्ठ समाजसेवी कन्हैया महाराज ने स्मरण सभा मे आये आंगतुकों का आभार जताते हुए महान कवि के आदर्शों को आत्मसात करने की बात कही
स्मरण सभा मे श्रीमती सरोज देवी शर्मा, श्रीमती स्वेता, अश्वनी सावलेरा, विमल कुमार, दुर्गादत्त भोजक, श्रीराम शर्मा, जितेंद्र, सत्यदेव शर्मा, जैनेन्द्र, ने भी महाकवि के काव्य आज के बच्चो के समक्ष पढ़ने की बात कही
इस अवसर पर गिरिराज, चेतन,असीम,नरेंद्र, धीरज, पूनमचंद सहित बड़ी संख्या में गणमान्य जन मौजूद थे ।