बिहार(सुपौल)-प्रशांत कुमार(ओम एक्सप्रेस ब्यूरों)अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए वट सावित्री का व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को रखा जाता है। इस बार जहां कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण हर तरह की गतिविधियों पर तकरीबन रोक लगा दी गई है। तो वहीं पति की लंबी उम्र के लिये रखा जाने वाला वट सावित्री का व्रत इस बार भी पहले की तरह हीं मनाया गया।त्रिवेणीगंज प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर सुहागिनों ने वट वृक्षों की पूजा की।इस दौरान पत्नियों ने लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए अपने घर के आंगनों में वट वृक्ष का पौधा लगा कर उनकी पूजा की।इस दौरान देश में व्याप्त सभी संकट के बीच पत्नियों द्वारा पति की लम्बी उम्र की कामना करना कम होता नहीं दिखा।

वैदिक काल से चली आ रही यह पूजा लॉकडाउन पर भाड़ी पड़ा:–

बता दें कि शुक्रवार की सुबह से ही सुहागिन महिलाओं ने पति के दीर्घायु के लिए बरगद के पेड़ की पूजा की। इलाके मे मंदिरों के बाहर सुबह से ही सुहगिनों की भीड़ दिख रही थी। अधिकांश सुहागिन लॉकडाउन का पालन करते हुए घर के आंगन में छोटा बरगद का पौधा लगा कर पूजा की।हालांकि कुछ अन्य जगहों पर वट वृक्ष के समीप भीड़ भी देखी गई लेकिन सोशल डिस्टेंस व शारीरिक दूरी का भी ख्याल व्रतियों ने रखा।मालूम हो कि व्रतियों के अनुसार सुहगिनो के लिये यह विशेष दिन होता है।
वट वृक्षों की पूजा कर रही व्रती रेखारामन लाभ,अर्चना लाभ,प्रियंका प्रिया,राखी कुमारी, पिंकी कुमारी आदि ने बताया कि इस दिन हमलोग निर्जला व्रत रखते हुए पति की लंबी उम्र की कामना के लिए यह व्रत रखते हैं इस व्रत का जिक्र अस्कन्ध पुराण में भी मिल जाएगा।वैदिक काल से ही यह व्रत सुहागिन महिलाएं करती आ रही है इस व्रत का जिक्र माना जाता है कि वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति व्रत की प्रभाव से मृत पड़े सत्यवान को पुनः जीवित किया था। तभी से इस व्रत को वट सावित्री नाम से ही जाना जाता है। इसमें वटवृक्ष की श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा की जाती है।

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