पीएम केयर के नाम पर हजारों करोड़ का घपला
कोरोना के नाम पर से गठित ट्रस्ट पीएम केयर फंड में अब तक कितनी राशि एकत्रित की गई तथा इसमें से कितनी व्यय की गई है, इसका ब्यौरा न तो केंद्र सरकार की किसी वेब साइट पर उपलब्ध है और न ही कोई अधिकारी देने को तैयार है । आरोप है कि कोरोना के नाम से उगाही अरबों रुपये की राशि में से काफी धन भाजपा सरकार डकार गई है ।
देश मे पहले से ही कानूनी रूप से पीएम रिलीफ फंड अस्तित्व में है । बावजूद इसके भाजपा सरकार ने कोविड-19 के लिए एकाएक 28 मार्च को “सिटिजंस असिस्टेंस रिलीफ इमरजेंसी सिचुएशन” (केयर) फंड ट्रस्ट के अधीन गठित कर हजारों करोड़ रुपये समेट लिए । इस फंड में सेलिब्रेटिज ने जमकर इसलिये पैसा जमा कराया, क्योकि इनकम टैक्स में छूट का प्रावधन है ।
प्रधानमंत्री इस केयर के अध्यक्ष तथा वित्त मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गृह मंत्री अमित शाह इसके सदस्य है । केयर अभी तक कानूनी इसलिये नही है, क्योकि इस ट्रस्ट का अभी तक पंजीयन ही नही हुआ है । अगर हुआ है तो कहीं भी पंजीयन उपलब्ध नही है ।
सवाल यह उतपन्न होता है कि जब पहले से ही पीएम रिलीफ फंड अस्तित्व में है तो नए गैर कानूनी फंड गठित करने की आवश्यकता क्यो हुई ? विपक्षी पार्टियों और अन्य लोगों का आरोप है कि भाजपा द्वारा धन हड़पने का यह सुगम जरिया है । क्योंकि यह ट्रस्ट चीफ ऑडिटर जनरल (सीएजी) और आरटीआई के अधीन नही है । इसलिए इसके घपले की जांच ना तो सीएजी कर सकता है और न ही इससे संबंधित किसी प्रकार की सूचना आरटीआई के अधीन प्राप्त की जा सकती है ।
फोरम अगेंस्ट करप्शन एन्ड एक्सप्लॉइटेशन (फेस) के संयोजक महेश झालानी ने इसे देश का सबसे बड़ा घोटाला करार देते हुए मांग की है कि ट्रस्ट में अन्य सदस्यों के अलावा विपक्षी दलों के प्रतिनिधि एवं प्रबुद्ध लोगों को शरीक किया जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे । इसके अतिरिक्त इस ट्रस्ट में अब तक कितनी राशि जमा हुई है तथा कितनी राशि किस मद में व्यय हुई, इसको अविलम्ब सार्वजनिक करें भाजपा अपनी ईमानदारी का सबूत पेश करें ।