वॉशिंगटन । गायिकी के ‘रसराज ‘ने सुरोंकी दुनिया से आज रुखसत ले ली। जाने माने शास्त्रीयगायक पंडित जसराज का 90 साल की उम्र में कार्डिएकअरेस्ट की वजह से निधन हो गया। पद्म विभूषण पंडितजसराज पिछले कुछ समय से अपने परिवार के साथअमेरिका में ही थे।

28 जनवरी 1930 को हरियाणा केहिसार में जन्मे पंडित जसराज ऐसे परिवार से ताल्लुकरखते थे, जो 4 पीढिय़ों से शास्त्रीय संगीत की परंपरा कोआगे बढ़ा रहा था। खयाल शैली की गायिकी पंडितजसराज की विशेषता रही।

उनके पिता पंडित मोतीराममेवाती घराने के संगीतज्ञ थे। जब पंडित जसराज महजतीन-चार साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गयाथा। वे 14 साल की उम्र तक तबला सीखते थे। बाद मेंउन्होंने गायिकी की तालीम शुरू की। उन्होंने साढ़े तीनसप्तक तक शुद्ध उच्चारण और स्पष्टता रखने की मेवातीघराने की विशेषता को आगे बढ़ाया। उनकी शादी जानेमाने फिल्म डायरेक्टर वी. शांताराम की बेटी मधुराशांताराम से हुई थी।

कुमार गंधर्व की एक डांट ने दुनिया को दिए जसराजपंडित जसराज ने एक इंटरव्यू में बताया था किसंगीत की राह पर मेरी शुरुआत तबले से हुई थी। 14बरस की उम्र में एक घटना ने मुझे गायकी की ओर मोड़दिया। 1945 में लाहौर में कुमार गंधर्व के साथ मैं एककार्यक्रम में तबले पर संगत कर रहा था। कार्यक्रम केअगले दिन कुमार गंधर्व ने मुझे डांटा था, जसराज तुममरा हुआ चमड़ा पीटते हो, तुम्हें रागदारी के बारे में कुछनहीं पता। उस दिन के बाद से मैंने तबले को कभी हाथ नहींलगाया और तबला वादन की जगह गायिकी ने ले ली।इंदौर काफी प्रसिद्ध रहा है। उस्ताद अमीर खां, पंडितकुमार गंधर्व, लता मंगेशकर, किशोर कुमार सहित इतनीहस्तियां यहां से हैं।