-श्रद्धा के भावों को धारण कर चढ़ाए अष्ट द्रव्य
जयपुर। राजधानी के नारायण सिंह सर्किल स्थित भट्टारक जी की नसियां (जैन नसियां) में रविवार से आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में पहली बार प्रारंभ हुए 10 दिवसीय 256 मंडलीय सिद्धचक्र महामंडल विधान पूजन के दूसरे दिन की शुरुवात प्रातः 6.30 बजे से श्रीजी का कलशाभिषेक के साथ प्रारंभ हुई इसके उपरांत आचार्य सौरभ सागर महाराज के मुखारविंद विश्व में शांति की कामना के साथ शांतिधारा कर अर्घ चढ़ाया गया। तत्पश्चात पंडित संदीप जैन सेजल के निर्देशन में श्रद्धा के भावों को धारण कर श्रद्धालुओं ने भजन-भक्ति जिनेन्द्र प्रभु की आराधना करते हुए मंत्रोच्चारण के साथ अष्ट द्रव्य (जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, नेवेघ, दीप, धूप, फल, अर्घ) सहित जयमाला अर्घ चढ़ाएं।
अध्यक्ष आलोक जैन तिजारिया ने बताया की सोमवार को विधान पूजन के दौरान जयपुर, दिल्ली, यूपी सहित अनेकों स्थान से श्रद्धालुओं का आगमन हुआ, इस दौरान सभी ने आचार्य श्री का आशीर्वाद प्राप्त किया। श्री सौरभमयी सिद्धचक्र प्रभावना समिति के पदाधिकारियों द्वारा सभी अतिथियों का सम्मान किया गया। विधान पूजन के संपन्न होने के पश्चात सोधार्म इंद्र सौम्या राहुल पाटनी, कुबेर इंद्र सुप्रिया शिखरचंद जैन सरसोप वाले, श्रीपाल मेनासुंदरी इंद्र मुन्नी देवी नरेंद्र सोगानी, महायज्ञ नायक इंद्र रूक्मणी, कमलेश, प्रमोद, उत्तम जैन बावड़ी वाले, यज्ञ नायक इंद्र रमेश माया जैन तिजारिया, चक्रव्रती इंद्र कुशल मधु ठोलिया, विधान सामग्री पुण्यार्जक शांति कुमार ममता सोगानी, ध्वजारोहण जीसी विशल्या देवी बड़जात्या, पांडाल उद्धघाटन रेणु, मोहित नमिता राणा, अखंड दीप ज्योति प्रवज्जलनकर्ता संजय सरोज गोधा एवं जिनवाणी स्थापनकर्ता संजय डॉ शालू जैन सहित सभी प्रति इंद्रोें ने जपयानुष्ठान में भाग लिया।
जो हरे व्यवधान उसी का नाम है सिद्धचक्र विधान – आचार्य सौरभ सागर
प्रातः 8.30 बजे धर्म को संबोधित करते हुए आचार्य सौरभ सागर महाराज आशीर्वचन में कहा की ” यदि संसारचक्र से छुटकारा पाना है तो सिद्धचक्र की आराधना करनी ही होगी क्योंकि सिद्धचक्र की आराधना निराकार की आराधना है आदृश्य की आराधना है हम यहां बैठकर सिद्ध शिला पर विराजमान सिद्ध प्रभु के दर्शन चरम चक्षु से तो नहीं कर सकते किंतु भाव चक्षु से अवश्य ही कर सकते हैं। विचार करना कुछ चीजों का आनंद आंखें खोलकर देखने में नहीं है जो आंखें बंद करके नजर आता है महावीर की साधना आंखें खोल कर नहीं बंद करके देखने का विषय है। जो व्यक्ति कामी क्रोधी लालची होता है वह कभी भी प्रभु भक्ति नहीं कर पाता परमात्मा की आराधना शूरवीर ही कर पाते हैं शूरवीर अर्थात जो अंदर से शक्तिशाली होते हैं परमात्मा की आराधना करते समय तुम्हें पदार्थ दिख रहे हैं तो तुम्हें परमार्थ की प्राप्ति नहीं हो सकती किंतु विचार करना ईस्ट को याद करते रहोगे तो तुम्हारे जीवन में कष्ट आने वाला नहीं है परमात्मा के नेतृत्व में चलोगे तो कल्याण होगा और यदि नेतृत्व से भटक गए तो लटक जाओगे और भटके हुए को प्रेत आत्मा कहा जाता है। शास्त्रों में कहा है कि भरत चक्रवर्ती ने नवरात्रि में आहो रात्रि पूजा की अर्थात भरत चक्रवर्ती ने दिन और रात दोनों समय जिनेंद्र प्रभु की आराधना की हमें सौभाग्य मिला है कि हम भी जिनेंद्र प्रभु की आराधना सिद्धो की भक्ति यहां पर करें जिस प्रकार से सिद्ध चक्र विधान की आराधना करके मैना सुंदरी ने अपने पति श्रीपाल आदि 700 मुनिराजों का कोड दूर किया था हम भी अपने सारे व्यवधानों को इस विधान से दूर कर सकते हैं क्योंकि जो जो हर सारे प्रावधान उसी का नाम है सिद्ध चक्र विधान।
कार्यक्रम संयोजक अतुल मंगल लवली ने जानकारी देते हुए बताया की सोमवार को सायंकालीन सत्र में शाम 6 बजे श्रीजी की महामंगल आरती की गई साथ ही आचार्य सौरभ सागर महाराज की मंगल आरती की गई, इसके पश्चात आचार्यश्री के सानिध्य में शंका समाधान और आनंद यात्रा का आयोजन किया गया जिसमें श्रद्धालुओं ने आचार्य श्री के पास अपनी शंकाएं रखी जिसका समाधान सौरभ सागर महाराज ने किया और आनंद यात्रा के दौरान आचार्य श्री ने उपस्थित श्रावकों और बच्चों से धार्मिक प्रश्न किए, सही जवाब देने वालों को समिति द्वारा पुरुस्कृत किया गया। मंगलवार को सुबह 6.30 बजे कालशाभिषेक और शांतिधारा होगी। प्रातः 7.30 बजे से विधान पूजन प्रारंभ होगा एवं प्रातः 8.30 बजे आचार्य सौरभ सागर महाराज के मंगल प्रवचन होगे। सायं कालीन सत्र में श्रीजी की मंगल आरती, गुरुदेव की आरती के साथ विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन एवं आनंद यात्रा का आयोजन होगा।
– आचार्य सौरभ सागर महाराज का 53 वां अवतरण दिवस समारोह रविवार को
मुख्य समन्वयक चेतन जैन निमोडीया ने बताया की नसियां जी में चल रहे 10 दिवसीय महोत्सव के दौरान रविवार 22 अक्टूबर को समिति द्वारा आचार्य सौरभ सागर महाराज का 53 वाँ अवतरण दिवस मनाया जायेगा। जिसमें देशभर से 5 हजार से अधिक श्रद्धालुगण जयपुर पहुंचेंगे और गुरुदेव का अवतरण दिवस मनाएंगे। समिति द्वारा रविवार को निर्धन लोगों को भोजन करवाया जायेगा, गरीब बच्चों को वस्त्र भेंट किए जायेगे। सहित विभिन्न कार्यक्रम किए जायेगे।