– उनके पास विधायक कम होने के संकेत, इसलिए गहलोत सरकार को संकट नहीं
जयपुर ( ओम एक्सप्रेस )।सचिन पायलट शुक्रवार को पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने दौसा के जीरोता गांव पहुंचे। इस दौरान उनके साथ 3 विधायक ही दिखे।
राजस्थान में सचिन पायलट और उनके खेमे की नाराजगी को लेकर एक सियासी हलचल लगातार तेज हो रही है। पायलट पिछले साल उनसे किए गए वादे 10 महीने बाद भी पूरे नहीं होने पर नाराजगी जता चुके हैं। इस बीच पायलट कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के संपर्क में हैं। बताया जाता है कि कल देर रात उनकी फोन पर प्रियंका से बात हुई है। पायलट शुक्रवार कोदिल्ली के लिए रवाना भी हो गए हैं।
– पायलट के पास विधायक कम होने के संकेत
पिछले साल सचिन पायलट ने जब बाड़ेबंदी की थी, उस वक्त उनके साथ 18 विधायक दिखे थे। लेकिन पिछले दो दिन में हुए घटनाक्रम में पायलट के साथ कम विधायक दिखने से राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि गहलोत सरकार के सामने कोई संकट नहीं है।
गुरुवार को पायलट के घर सिर्फ पांच विधायक राकेश पारीक, रामनिवास गावड़िया, मुकेश भाखर, वेदप्रकाश सोलंकी और सुरेश मोदी मिलने पहुंचे थे। जबकि शुक्रवार को सचिन के पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में तीन विधायक मुरारीलाल मीणा, जीआर खटाणा और अमर सिंह जाटव मौजूद शामिल हुए। हालांकि कोरोना के चलते इस बार श्रद्धांजलि का कार्यक्रम छोटा ही रखा गया था। पायलट ने शुक्रवार सुबह दौसा के जीरोता और भंडाना गांव पहुंचकर पिता को श्रद्धांजलि दी और फिर जयपुर लौट गए।
पायलट को मनाने में पिछली बार प्रियंका की अहम भूमिका रही थी
पायलट दिल्ली में कांग्रेस के सीनियर लीडर्स से मिल सकते हैं। लेकिन नजरें इस पर रहेंगी कि पायलट की प्रियंका से मुलाकात कब होती है। क्योंकि पिछली बार बगावत के बाद उन्हें मनाने में प्रियंका की ही अहम भूमिका रही थी। जाहिर है कि पायलट को लेकर अब कांग्रेस की चिंता इसलिए भी बढ़ गई होगी, क्योंकि दो दिन पहले ही राहुल गांधी के करीबी रहे जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए थे।
पायलट दिल्ली में कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी मुलाकात कर सकते हैं। ये दोनों ही नेता पायलट के मुद्दे को लेकर पिछले साल बनाई गई सुलह कमेटी में शामिल हैं। हालांकि इस कमेटी की रिपोर्ट 10 महीने बाद भी नहीं आई है और पायलट की नाराजगी की वजह भी यही है।
– सचिन ने नाराजगी के बावजूद कांग्रेस में रहकर लड़ने के संकेत दिए
सचिन पायलट ने अशोक गहलोत सरकार से नाराजगी तो जाहिर की है, लेकिन यह संकेत भी दिए हैं कि वे कांग्रेस में रहकर ही संघर्ष करेंगे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पायलट की मुख्य लड़ाई कांग्रेस से नहीं बल्कि अशोक गहलोत से है। इन दोनों के बीच सत्ता का संघर्ष आगे भी जारी रहेगा।
महंगाई के खिलाफ कांग्रेस के प्रदर्शन में पायलट शामिल
सचिन पायलट जयपुर में महंगाई के खिलाफ कांग्रेस के प्रदर्शन में हिस्सा लिया। पायलट ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ लगातार अभियान चलाने की पैरवी की है। वे कांग्रेस के सभी कार्यक्रमों में लगातार हिस्सा ले रहे हैं। इसके पीछे लगातार सक्रिय रहने की रणनीति है।
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ सांगानेर के पेट्रोल पंप पर प्रदर्शन करते सचिन पायलट।
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ सांगानेर के पेट्रोल पंप पर प्रदर्शन करते सचिन पायलट।
विधायक हेमाराम चौधरी इस्तीफा देने के बाद पहली बार पायलट से मिले
अपने इलाके के विकास में भेदभाव समेत दूसरे मुद्दों पर नाराज होकर इस्तीफा देने वाले विधायक हेमाराम चौधरी गुरुवार रात जयपुर पहुंचे थे। शुक्रवार को उन्होंने सचिन पायलट से मुलाकात की है। हेमाराम चौधरी पायलट के समर्थक हैं और पिछले साल बाड़ेबंदी में उनके साथ ही थे। हेमाराम का कहना है, ‘मैं इस्तीफा दे चुका हूं। अध्यक्ष जब बुलाएंगे तब मैं उनके सामने पेश हो जाऊंगा। इस्तीफे पर फैसला अध्यक्ष को करना है।