अन्य राज्य सरकारें इन प्रवासियों के देखभाल की व्यवस्था करने की कोशिश कर रही हैं तथा केंद्र सरकार की ओर से भी मदद पहुंचाने का सिलसिला जारी है, लेकिन अभी भी यह सब नाकाफी है| भूख से बेहाल और बीमारी से लाचार मजदूरों और उनके परिवारों की चिंताजनक खबरें लगातार आ रही हैं| सरकारी विभागों और प्रशासन की भलमनसाहत और मेहनत के बावजूद कामगारों की जरूररतें पूरी नहीं हो पा रही हैं| इस वजह से अनेक जगहों पर लोग हंगामे और हिंसा पर भी उतारू होने को मजबूर हुए हैं| सच है जब खाना ठीक से न मिले और घर लौट पाने या रोजगार मिल पाने की उम्मीदें टूटती जा रही हों, तो ऐसी घटनाओं का होना स्वाभाविक है| ऐसे में उन्हें ठीक से देखभाल मुहैया कराने के साथ बीमारियों के इलाज और मानसिक तौर पर समझाने-बुझाने की जरूरत बढ़ती जा रही है|
केंद्र और राज्य सरकारों को ३ मई तक बढ़े लॉक डाउन को दृष्टिगत रखते हुए फौरन कोई योजना बनाना चाहिए |सरकार को यह सोचना चाहिए कि इसका एक मानवीय पक्ष है, जिसे कोई भी कभी हवा दे सकता है, यह हवा अंदर उबल रहे लावा को और गर्म कर सकता है | जिसके परिणाम सुखद नहीं होंगे | केंद जो गाइड लाइन बना रहा है, उसमे इस विषय पर स्पष्ट आदेश हो और वे उन राज्यों पर भी बंधनकारी हो जहाँ प्रतिपक्षी सरकारें हैं |
कोरोना वायरस कितनी बड़ी चुनौती है और इससे निपटने के प्रयास में किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, यह प्रवासी और स्थानीय कामगारों को स्पष्ट रूप बताया जाना चाहिए. समस्याओं और समाधानों को लेकर भी उनसे चर्चा भी जरूरी है| इसके लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों तथा धार्मिक व्यक्तियों की सेवायें ली जानी चाहिए | इन उपायों से बेचैन और बदहाल कामगारों में भरोसा पैदा होगा और वे अस्थायी शिविरों में भी चैन से रह सकेंगे| आम तौर पर ऐसे कामगारों को सामुदायिक केंद्रों, पंचायत भवनों, स्कूलों आदि में रखा गया है| ये स्थान बस्ती से परे हैं, और बस्ती में लॉक डाउन होगा इससे कई दिक्कतें सामने आ रही हैं |ऐसी जगहों पर आम तौर पर बहुत अधिक लोगों के रहने, खाने-पीने आदि की व्यवस्था नहीं होती है| यह सब स्वच्छता के साथ उपलब्ध कराना राज्यों की जिम्मेदारी है|
ऐसा नहीं हो पाने और घर भी नहीं लौट पाने से कामगार क्षुब्ध हो सकते हैं क्योंकि उनके साथ उनके परिवार भी हैं| यह कामगार नागरिक होने के साथ हमारी अर्थव्यवस्था का आधार हैं और जब हम सब इस संकट से उबर जायेंगे, तो फिर इन्हीं की मेहनत से आर्थिकी को संवारने की प्रक्रिया शुरू होगी| सारी सरकारों को यह याद रखना चाहिए |