नई दिल्ली। दुनिया के 200 से अधिक वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस हवा में भी मौजूद रहता है और यह हवा में कई फीट तक दूरी भी तय कर सकता है। कोरोना संक्रमण पर वैज्ञानिकों के इस दावे से लोगों में डर का एक नया माहौल बन गया है।
वैज्ञानिक अनुसंधानों से यह पता चला है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने या फिर बात करने के दौरान जो छीटे निकलती हैं, उसमें वायरस के कण मौजूद होते हैं, जिन्हें हम एरोसोल्स भी कहते हैं। वे छीटेंं सिर्फ जमीन या किसी और सतह पर ही वायरस का कण नहीं छोड़तीं बल्कि हवा में भी काफी समय तक वायरस के कण जिंदा रहते हैं।
दिसंबर, 2019 में चीन से निकले कोरोना वायरस से अभी तक विश्व भर में एक करोड़ 20 लाख ले अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। लगभग साढ़े पांच लाख लोग जान गंवा चुके हैं। इसके बावजूद यह महामारी किस-किस तरह से लोगों को संक्रमित कर सकती है, इसको लेकर भ्रम बरकरार है। इस महामारी के प्रति लोगों के व्यवहार और इलाज से संबंधित गाइड लाइन समय-समय पर डब्ल्यूएचओ जारी करता रहा है जिसके अनुसार कोरोना का फैलाव संक्रमित व्यक्ति के खांसने, बोलने या छींकने से निकलने वाले ड्रापलेटस के मुंह या नाक के जरिए सांस की नली तक पहुंचने से होता है। इसलिए डब्ल्यूएचओ ने लोगों को हाथ धोने, मास्क पहनने और 6 फीट की शारीरिक दूरी बनाकर रखने का सुझाव दिया है।
साउथ चाइना माॅर्निंग पोस्ट मीडिया ने कई एक्सपर्टस के इंटरव्यू के हवाले से कहा है कि ऐसा कई मामलों में देखने में आया है कि एरोसोल्स के जरिए लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं।