नई दिल्ली, 23 फरवरी 2021, (दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। केंद्र सरकार फेसबुक और ट्विटर समेत सोशल मीडिया प्लेटफार्म की मनमानी पर लगाम लगाने की तैयारी में है। सरकार इन्हें भारतीय संविधान के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए कानून बनाने में जुटी है। बजट सत्र के दूसरे चरण या मानसून सत्र में सरकार इससे जुड़ा विधेयक ला सकती है।
दरअसल, विवादस्पद सामग्री को हटाने और सोशल मीडिया को संविधान के दायरे में लाने के लिए कोई कानून नहीं है। सोशल मीडिया कंपनियां इसका लाभ उठा रही हैं। इसी के मद्देनजर कानून मंत्रालय में इससे संबंधित कानून पर तेजी से काम हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि सरकार 8 मार्च से शुरू हो रहे बजट सत्र के दूसरे हिस्से में ही बिल पेश करना चाहती है। अगर इसमें किसी कारणवश देरी हुई तो मानसून सत्र में बिल पेश किया जाएगा।
चिंता का दूसरा कारण सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों की बड़ी संख्या है। दुनिया भर में करीब तीन अरब लोग फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं। इनमें भारत में इसके यूजर्स की संख्या करीब 32 करोड़ है। सोशल मीडिया के सभी माध्यमों को जोड़ दें तो यह संख्या 50 करोड़ से ज्यादा है। मुश्किल यह है कि इन प्लेटफार्म की निगरानी करने का न तो कोई कानूनी और न ही इनमें डाले गए सामग्री की विश्वसनीयता को परखने वाला कोई प्रभावी तंत्र ही है।
इस विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। सुनवाई के दौरान सरकार ने सोशल मीडिया के खतरे के प्रति आगाह किया है। सरकार ने शीर्ष अदालत में कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सब कुछ लिखने कहने को जायज ठहरा दिया जाए। सरकार ने शीर्ष अदालत को भी इस संबंध में कानून बनाने पर विमर्श जारी रहने की बात कही है।