जयपुर। विभिन्न ट्रेडो में नवीनतम कौशल पाठ्यक्रमों के साथ एक दिलचस्प और नए करियर के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए बीएसडीयू विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के बीच सामाजिक जागरूकता भी पैदा कर रहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग, भारत सरकार ने दूसरी राष्ट्रव्यापी प्रतियोगिता लॉन्च की, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि समाज के सभी वर्गों को कानून की पूरी तरह से जानकारी हो और वे कानून के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रभावी रूप से अपना योगदान कर सकें।
उसी के अनुपालन में भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ जनरल एजूकेशन ने महिलाओं के कानूनी अधिकारों के बारे में विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया। बीएसडीयू एक ऐसा अनूठा कौशल विकास विश्वविद्यालय है, जो विभिन्न उद्योगों के साथ साझेदारी, गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना, और अच्छी तरह से डिजाइन किए गए पाठ्यक्रमों के माध्यम से छात्रों को कुशल बनाने के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान कर रहा है, ताकि भारत में कौशल विकास उद्योग के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की जा सके।
इस दिशा में बीएसडीयू का प्रयास है कि छात्रों को कौशल संबंधी ऐसी ट्रेनिंग दी जाए, जिससे वे अपने क्षेत्र से संबंधित रोजगार हासिल कर सकें अथवा उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार रहने के लिहाज से प्रशिक्षित करके अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के काबिल बनाया जा सके। बीएसडीयू के प्रेसीडेंट डॉ (ब्रि) सुरजीतसिंह पाब्ला कहते हैं, ”इस प्रतियोगिता के आयोजन के पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि महिलाओं को अपने जीवन के विभिन्न स्तरों पर प्राप्त विधिसम्मत अधिकारों की जानकारी दी जा सके। इस तरह की पहल के लिए मैं स्कूल ऑफ जनरल एजूकेशन को बधाई देना चाहता हूं, क्योकि कुछ ऐसे महत्वपूर्ण अधिकार हैं, जिनके बारे में महिलाओं को जानकारी होनी ही चाहिए, तभी वे उचित समय पर न्याय हासिल कर सकेंगी।
विभिन्न पृष्ठभूमि से संबंधित लडकियां भी अब यूनिवर्सिटी की तरफ से उपलब्ध कराए जा रहे विविध पाठ्यक्रमों की सहायता से अपने जीवन का लक्ष्य तय करने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। गौर करने वाली बात यह है कि ज्यादातर कौशल पाठ्यक्रमों में अब तक लडकों का ही दबदबा था, लेकिन अब इनमें बडी संख्या में लडकियां भी आगे आ रही हैं और वे कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन, निजता का अधिकार, जीरो नंबर एफआईआर और घरेलू हिंसा से संबंधित विभिन्न कानूनों की जानकारी हासिल कर रही हैं।” प्रतियोगिता के दौरान विभिन्न संकाय प्रमुखों ने महिलाओं के अधिकारों पर अपने विचार साझा किए और ऐसी सामान्य परिस्थितियों पर प्रकाश डाला, जिन्हें आम तौर पर महिलाओं द्वारा अनदेखा कर दिया जाता है।
शीर्ष 9 छात्रों को कुलपति डॉ पाब्ला ने प्रमाण पत्र और नकद पुरस्कार से सम्मानित किया। विजेताओं के नाम हैं- मोनिका सरोदिया, बिमला जाट, मोहित कलाल, अनुराग शेखावत, सुरभि पारीक, अश्विनी धनखड़, विकास कुमार नागा, मुहम्मद नूर इस्लाम और रुचिका गुप्ता।(PB)