-दौड़ में सबसे आगे थे गोरखपुर के प्रोफेसर राजेश सिंह, आपराधिक रिकॉर्ड सामने आने पर रेस से हुए बाहर
जयपुर(हरीश गुप्ता)। राजस्थान विश्वविद्यालय को करीब 25 साल बाद महिला कुलपति मिलने जा रही है। राज्यपाल और सरकार की प्रोफेसर अल्पना कटेजा के नाम पर सहमति बन गई है। आज-कल में उनके नाम की घोषणा कर दी जाएगी।
सूत्रों की मानें तो राजस्थान विश्वविद्यालय के स्थाई कुलपति के लिए कमेटी आगरा के प्रोफेसर गौतम की देखरेख में बनी थी। जिसमें यूजीसी के प्रतिनिधि के तौर पर लखनऊ के संजय सिंह और सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर एनएल हर्ष और आरडी सैनी थे।
सूत्रों की मानें तो विश्वविद्यालय के स्थाई कुलपति के लिए कई आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें डॉक्टर देव स्वरूप का भी आवेदन था, लेकिन 10 साल के प्रोफेसर की शर्त के कारण उनके आवेदन पर विचार नहीं किया गया।
सूत्रों की मानें तो चर्चाएं जोरों पर हैं, ‘कमेटी ने पांच नाम का पैनल तैयार किया, जिनमें राजस्थान विश्वविद्यालय इकोनॉमी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अल्पना कटेजा, वाणिज्य महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर नवीन माथुर, गोरखपुर के प्रोफेसर राजेश सिंह, मत्स्य विश्वविद्यालय, भरतपुर के प्रोफेसर रमेश चंद्र व उदयपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बीआर बामनिया है।
सूत्रों की मानें तो चर्चाएं जोरों पर हैं, ‘स्थाई कुलपति की दौड़ में सबसे आगे नाम यूपी मूल के राजेश सिंह का चल रहा था।’ ‘…’सरकार’ की भी सोच शायद यही है कि यूपी वाले ‘गुरुजी’ बड़े इंटेलिजेंट होते हैं, लेकिन कुछ कारसेवकों ने उनका आपराधिक रिकॉर्ड उजागर कर दिया।’ चर्चाएं हैं, ’15 दिन पहले ही उन्हें गोरखपुर विश्वविद्यालय से हटाया गया है।’
सूत्रों की मानें तो चर्चाएं यह भी है, ‘ऊपरी लेवल पर यह सहमति हुई है कि राजस्थान विश्वविद्यालय में लोकल, लेकिन सीकर विश्वविद्यालय में अब यूपी का कुलपति बनाया जाएगा’ ‘…वर्तमान में राज्य की सरकारी विश्वविद्यालयों में 14 कुलपति यूपी के हैं।’
गौरतलब है करीब 25 साल पहले कांता आहूजा राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति थी। उनके बाद से कोई महिला राजस्थान विश्वविद्यालय की स्थाई कुलपति नहीं बनी।