अशोक गहलोत सीएम बने रहेंगे !
अपने आपको सुरक्षित करने के लिए गहलोत ने बिना किसी के कहे गुजरात का 28 से 31 अक्टूबर तक चार दिवसीय दौरा बनाया
जयपुर (ओम दैया )।


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही राजस्थान के सीएम बने रहेंगे। बुधवार को नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पदभार ग्रहण करने के अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कार्यक्रम में उपस्थित हुए। इस कार्यक्रम में खड़गे व अन्य नेताओं ने सोनिया गांधी व राहुल गांधी के अलावा गहलोत को महत्व दिया जिसके चलते कार्यक्रम के दौरान गहलोत सोनिया व राहुल के पास बैठे नजर आए जबकि कार्यक्रम में कई सीनियर नेता खड़े थे। कार्यक्रम के दौरान उनकी बॉडी लैंग्वेज भी आत्मविश्वास से भरी हुई थी। कार्यक्रम के दौरान या बाद में सोनिया गांधी, राहुल व खड़गे ने राजस्थान के विषय में कोई चर्चा नहीं की। हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव प्रमुख वजह बताई जा रही है। सीएम गहलोत को गुजरात चुनाव में विशेष पर्यवेक्षक बनाया गया था। आलाकमान नहीं चाहता है कि हिमाचल व गुजरात के चुनाव के दौरान राजस्थान में सियासी संकट बने। मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद भी सीएम अशोक गहलोत के हाव-भाव उनकी मजबूती के संकेत दे रहे हैं। जानकार कह रहे है कि राजस्थान में 92 विधायकों की ओर से इस्तीफा दिए जाने के बाद भी पार्टी आलाकमान ने कोई बड़ा फैसला नहीं लिया है। बीजेपी की ओर से स्पीकर सीपी जोशी से इस्तीफा मंजूर करने के आग्रह भी स्वीकारा नहीं गया है। इधर सीएम गहलोत दिल्ली से लौटने के बाद चुनावों को ध्यान में रखकर धड़ाधड़ फैसले ले रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान से हरी झंड़ी मिलने के बाद ही गहलोत की हर मीटिंग में आत्मविश्वास दिखाई दे रहा है। राजस्थान में चल रहे सियासी संकट को एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है। इसी बीच एक बार फिर राजस्थान में अशोक गहलोत सचिन पायलट के बीच चल रही जंग तेज होने के आसार जताए जा रहे हैं। चूंकि बुधवार को मल्लिकाअर्जुन खडगे ने कांग्रेस अध्यक्ष पदभार ग्रहण कर लिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि राजस्थान के सीएम पद को लेकर चल रही सियासत को शांत करने के लिए कांग्रेस जल्द फैसला लेगी। कहा तो यह भी जा रहा है कि फिलहाल हिमाचल व गुजरात के चुनाव तक गहलोत ही सीएम बने रहेंगे। वहीं गहलोत व पायलट को एक करने की कवायद भी चल रही है, पार्टी दोनों नेताओं को एकजुट कर राजस्थान में पुनः कांग्रेस की सत्ता लाने के प्रयास कर रही है। सीएम गहलोत प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ दिल्ली पहुंचे थे वहीं उनके कुछ समर्थक नेता भी दिल्ली में मौजूद थे। गहलोत के अपनी टीम के साथ दिल्ली पहुंचने की बड़ी वजह बताई जा रही है। जानकारों का कहना है कि सीएम गहलोत कांग्रेस आलाकमान और नए अध्यक्ष यह बताने में जुटे हैं कि राजस्थान में वो अपनी टीम के साथ काफी मजबूत हैं। राजस्थान के ज्यादातर कांग्रेसी नेता अशोक गहलोत को भी अपना नेता मानते हैं। वहीं उनकी टीम ही पार्टी की बड़ी विश्वासपात्र है। दिल्ली से लौटने पर गहलोत ने अपने आपको सुरक्षित करने के लिए गुजरात का 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक चार दिवसीय दौरा बना लिया है। इस दौरान उनका 6 जगह जनसभाएं करने का कार्यक्रम भी बनाया है। आखिर सीएम गहलोत ने गुजरात प्रभारी डॉ. रघु शर्मा द्वारा इस्तीफा देने के बाद अपना दौरा किसके कहने से बनाया है यह स्पष्ट नहीं है। जब सभी पदाधिकारियों ने अपने इस्तीफे दिए हैं तो फिर सीएम गहलोत गुजरात के सीनियर ऑब्जर्वर कैसे बने रह सकते हैं ? कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यभार ग्रहण करने के तत्काल बाद गुजरात का दौरा अपने आप में सवाल पैदा करता है। आखिर सीएम गहलोत ने जल्दबाजी में गुजरात का दौरा क्यों रखा है इसके पीछे उनकी क्या राजनीति है यह तो वे खुद ही बता सकते हैं। लेकिन यह बात सही है कि वे अपनी बिगड़ी हुई स्थिति को सुधारने के लिए गुजरात में सक्रिय रहना चाहते हैं। गुजरात के दौरे में उन्होंने बगावत में प्रमुख रूप से किरदार निभाने वाले कर्मचारी नेता राजस्थान पर्यटक विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को अहमदाबाद जिले की जिम्मेदारी दे रखी है। सीएम गहलोत के इस पहले चार दिवसीय दौरे में वे धर्मेंद्र राठौड़ को कितना सक्रिय रखेंगे यह तो आने वाले समय में स्पष्ट कर पाएगा। गुजरात प्रभारी डॉ. रघु शर्मा के इस्तीफे के बाद सीएम गहलोत का यह पहला दौरा होगा। इस दौरे को सफल बनाने के लिए उन्होंने हर स्तर के प्रयास किए हैं और अपनी एडवांस टीमें भेजकर व्यवस्थाएं अच्छी बनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे कि वे पार्टी हाईकमान को यह जता सके कि उनके रहने से गुजरात में पार्टी को सफलता मिल सकती है। यही कारण है कि उन्होंने अपने चार दिवसीय दौरे में प्रवासी राजस्थानीओं की मदद लेकर भी अपने दौरे को सफल बनाने की रणनीति भी तैयार की है। सीएम गहलोत 31 अक्टूबर को गुजरात में बनासकांठा में भारत जोड़ो पदयात्रा में भी शामिल होंगे। इस यात्रा को सफल बनाने के लिए उन्होंने जोधपुर, जालौर, सिरोही और पाली तक के नेताओं को सक्रिय किया है। जिससे कि वे लोग यहां पर अधिक से अधिक सक्रिय होकर कांग्रेस की फिजा अच्छी बनाने का प्रयास करेंगे। लेकिन भारत जोड़ो पैदल यात्रा में गुजरात से ज्यादा राजस्थान के लोग अधिक सक्रिय नजर आएंगे।