बीकानेर। जिले के जामसर थाने के लिये अधिग्रहित की गई जमीन के मामले को लेकर पुलिस पर सवाल उठने लगे है।
दरअसल,जसरासर थाना प्रभारी संदीप पूनिया ने ने हाईकोर्ट के आदेशों को नजर अंदाज कर थाने के लिये उस जमीन पर अधिग्रहण कर लिया जो ग्राम पंचायत जसरासर के एक वरिष्ठ ग्रामीण की जमीन है। अपनी इस जमीन को लेकर मूलाराम ने राजस्थान उच्च न्यायालय में वाद भी दायर कर रखा है,जिस पर कोर्ट ने स्टे जारी कर रखा है। इसके बावजूद जसरासर एसएचओं ने जमीन पर तंबू तानकर अधिग्रहण कर लिया। जिससे गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है। हैरानी की बात तो यह है कि ग्राम पंचायत की ओर से थाने को आवंटित की गई इस जमीन का पट्टा भी संदेह के घेरे में है । बताया जाता है कि सरपंच रामनिवास तर्ड की ओर से आनन फानन में 20 अगस्त 23 को पट्टा जारी कर दिया। लेकिन यह जमीन मूलाराम की है,जो अपने परिवार के साथ कई सालों से रह रहा है। जिसका बैयनामा राजस्थान पंचायत अधिनियम एक्ट के तहत 1960 में बना हुआ है।,इसको लेकर मूला राम तर्ड ने विकास अधिकारी नोखा को शिकायती पत्र देकर उनकी पुश्तैनी भूमि पर गैर क ानूनी रूप से ग्राम पंचायत जसरासर सरपंच रामनिवास तर्ड,ग्राम सेवक बजरंगलाल तर्ड द्वारा जारी पट्टे को निरस्त करने की मांग की। जिसके बाद एक चार सदस्यों की कमेटी बनाकर मामले की जांच के आदेश दिए गये।
*कमेटी कर चुकी है जांच
मजे कि बात तो यह है कि कमेटी में शामिल सहायक विकास अधिकारी रमेश दाधीच,दशरथ सिह,गोपालदान,शिवनारायण विश्रोई शामिल रहे। जिन्होंने परिवादी के जमीन के पडोसियों के बयानों व मौका स्थल का मुआयना कर अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि पंचायत समिति जसरासर ने आनन फानन में पट्टा बनाया है। जिसमें न तो पडोसियों के बयान लिये गये और न ही नियमानुसार प्रक्रिया को अपनाया गया। ग्राम पंचायत द्वारा जो की इंच पैमाना का माप दिया गया है,उसके अनुसार जारी किये गये पट्टे के माप में अंतर होने के कारण संदिग्ध प्रतीत हो रहा है। चारों सहायक विकास अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अगर पूर्ण प्रक्रिया को अपनाया जाता तो मूलाराम परिवार पीढियों से निवास करते आ रहे है। उनका प्राथमिकता के आधार पर न्यूनतम आवश्यकता के आधार पर भूमि आंवटित होने के बाद अगर शेष भूमि रहती तो किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को आव ंटित की जा सकती थी। ग्राम पंचायत की ओर से पुलिस थाना को आवंटित 11046.21 वर्ग गज की विस्तृत भूमि ओर इसका आकार ओर दक्षिण की तरफ झूठे बताये गये रास्ते पर बने मकान के बावजूद मकान न होने के तथ्य पट्टे की सत्यता पर सवालिया निशान उठाते है।
*नियमानुसार जारी नहीं हुआ पट्टा
शिकायतकर्ता मूलाराम का कहना है कि ग्राम पंचायत ने जो पट्टा जारी किया है। उसमें राजस्थान पंचायतीराज अधिनियमों की उपेक्षा की गई है। नियमानुसार पालिका अधिनियमों के तहत किसी भी प्रकार का पट्टा जारी करने से पहले आपति विज्ञापन पंजीकृत दैनिक समाचार पत्र में साया करना आवश्यक है। जिसमें किसी प्रकार की आपति आने पर उसका निस्तारण भी जरूरी है। साथ ही इसके लिये संबंधित भूमि का मौका मुआयना कर आस पडोस के निवासियों के कलमबद्व बयान भी आवश्यक है। साथ ही आपति नोटिस भी चस्पा किया जाना जरूरी है। किन्तु ग्राम पंचायत स्तर पर ऐसा कुछ नहीं किया गया। शिकायतकर्ता ने बताया कि थानाधिकारी संदीप उन्हें व उनके परिजनों को डरा धमका रहे है।
*ग्राम विकास अधिकारी पर लग चुके गंभीर आरोप
मजे की बात तो यह है कि जिस ग्राम विकास अधिकारी बजरंग तर्ड के हस्ताक्षर से जसरासर थाना पुलिस की आवंटित भूखंड का पट्टा जारी किया गया है। उस ग्राम विकास अधिकारी बजरंग लाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी जिसके चलते उसे निलंबित भी किया जा चुका है। ऐसे ग्राम विकास अधिकारी की हस्ताक्षर युक्त पट्टे पर सवालिया निशान लग गए हैं। इसके अलावा ग्राम पंचायत में कई विकास कार्यो में घोटालेबाजी को लेकर भी ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ जांचे चल रही है।