नई दिल्ली,(दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। विधि और न्याय मंत्रालय (नालसा) की ओर से गणतंत्र दिवस पर आयोजित झांकी में राजस्थानी लोक कला संस्कृति और पर्यटन की दिखाई गईसंगीतमय थीम मे यह ना सोचो की दर्द हमारा कहीं सुना ना जाएगा, अब न्यायालय खुद चलकर हमारे घर चौपाल तक आएगा कमजोर आय वर्ग के आश्रित मजदूरों के लिए अब न्याय गांव की चौपाल पर बैठकर होगा। झांकी में। ” एक मुटठी आसमां ” थीम शो में लोक अदालत की न्याय व्यवस्था में आसमां न्याय का सबके लिए…..विश्वास न्याय का सबके लिए। एक मुठ्ठी आसमां पर,इंसाफ के आशियां पर हमारा भी तो हक है। ‘एक मुट्ठी आसमां’ थीम, गरीबों तथा समाज के हाशिए पर रहने वाले कमजोर वर्गों के लिए भरोसे और आशा का प्रतीक है। विधिक सेवा प्राधिकरणों का गठन समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त एवं सक्षम विधिक सेवाओं को प्रदान करने के लिए, ताकि आर्थिक या किसी भी अन्य कारणों से कोई भी नागरिक न्याय पाने से वंचित न रहे तथा लोक अदालत का आयोजन करने के लिए किया गया है, जिससे कि न्यायिक प्रणाली समान अवसर के आधार पर सबके लिये न्याय सुगम बना । लोक अदालत कानूनी विवादों का, सुलह की भावना से, न्यायालय से बाहर समाधान करने का वैकल्पिक विवाद निष्पादन का अभिनव तथा सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम है, जहाँ आपकी समझ-बूझ से विवादों का समाधान किया जाता है। लोक अदालत सरल एवम् अनौपचारिक प्रक्रिया को अपनाती है तथा विवादों का अविलम्ब निपटारा करती है। इसमें पक्षकारों को कोई शुल्क भी नही लगता है। लोक अदालत से न्यायालय में लंबित मामले का निष्पादन होने पर, पहले से भुगतान किये गये अदालती शुल्क को भी वापस कर दिया जाता है। लोक अदालत का आदेश/फैसला अंतिम होता है जिसके खिलाफ अपील नही की जा सकती। लोक अदालत से मामले के निपटारे के बाद दोनों पक्ष विजेता रहते हैं तथा उनमे निर्णय से पूर्ण संतुष्टि की भावना रहती है, इसमें कोई भी पक्ष जीतता या हारता नही है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने जन-जन के दर तक न्याय की इस तीव्रतर प्रणाली को पहुँचाया है और अदालतों का बोझ बड़े पैमाने पर घटाया है। 2021 में आयोजित की गई राष्ट्रीय लोक अदालतों में, एक करोड़ पचीस लाख से ज्यादा मामलों का निपटारा किया गया है। झांकी का अग्रभाग ‘न्याय सबके लिए’ को चित्रित करता है, जो कि भयमुक्त भरोसा मंद होने के साथ साथ सुरक्षात्मक भी है, झांकी के पृष्ट भाग में, एक हाथ की पांचों उँगलियाँ खुलती हुई दिखती है, जो लोक अदालतों के पांच मार्ग के सिद्धान्तों को दर्शाती है। लोक भावना को ध्यान में रखकर न्याय सबके लिए सस्ता सुगम्, , सुलभ, न्यायसंगत और निश्चित तथा यथाशीघ्र न्याय देना ही लोक अदालत का उद्देश्य है।