

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कल अवकाश के बाद फिर से आरम्भ हुई और उसने दिल्ली से यूपी में प्रवेश किया। इस यात्रा के यूपी में प्रवेश से पहले सपा, बसपा, लोकदल व टिकैत की किसान यूनियन को यात्रा में शामिल होने के लिए पत्र लिखे गये। गाजियाबाद में यात्रा का स्वागत व सभा भी हुई। सभा में हालांकि भारी भीड़ थी मगर अन्य विपक्षी दलों का कोई नेता शामिल नहीं हुआ। यात्रा को महाराष्ट्र में समर्थन दे चुकी शिव सेना उद्धव की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने अवश्य भागीदारी की। प्रियंका चतुर्वेदी पहले कांग्रेस में ही थी, फिर वो शिव सेना में शामिल हुई।
यूपी में कांग्रेस अपना संगठन खड़ा करने के लिए झुझ रही है। ढाई दशक से यूपी में कांग्रेस सांसद व विधायकों की संख्या बढ़ाने के बजाय घटा ही पाई है। जबकि अलग अलग दलों से अलग अलग चुनावों में उसने गठबंधन भी किये, मगर निराश ही होना पड़ा। यात्रा ने जब तीन हजार किमी को पूरा किया तो राहुल को अगले आम चुनाव में पीएम कैंडिडेट बनाने की बात उछली। नीतीश ने पहले समर्थन किया मगर कल अपनी बात से ये कहते हुए पलट गये कि समय आने पर इस बात पर विचार करेंगे। यात्रा के लिए शुभकामनाएं तो दी मगर शामिल होने की बात नहीं की।
यूपी के अन्य विपक्षी दलों का भी यही रुख रहा। सपा के अखिलेश यादव ने पत्र लिखकर यात्रा का स्वागत किया मगर भाग लेने की बात पर हां नहीं किया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी शुभकामना दी, स्वागत किया मगर भागीदारी की हां नहीं भरी। आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी ने भी यात्रा के समर्थन का बयान दिया मगर भागीदारी की बात से दूर रहे। हां, राम मंदिर के मुख्य पुजारी ने पत्र लिख यात्रा के लिए राहुल को आशीर्वाद दिया।
किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने यात्रा का स्वागत किया और ये भी कहा कि उनके जिला स्तरीय नेता इसमें शामिल हो सकते हैं, वे खुद शामिल नहीं होंगे। क्योंकि किसान यूनियन गैर राजनीतिक संगठन है। मोटे तौर पर माने तो किसान यूनियन ने ही साथ की बात कही।
राहुल की यात्रा यूपी में जिन इलाकों से निकलेगी वो जाट बाहुल्य क्षेत्र हैं और यहां आरएलडी का खासा प्रभाव है, वो अपने वोट बैंक की सुरक्षा की चिंता करे तो गलत भी नहीं। शायद इसीलिए उन्होंने अपने को यात्रा से दूर रखा है। यूपी में सपा व आरएलडी का गठबंधन है, स्वाभाविक रूप से सपा ने भी इसीलिए भाग न लेने का निर्णय किया है। राहुल के लिए ये सुखद बात है कि टिकैत की किसान यूनियन ने अवश्य भागीदारी की घोषणा की है। क्योंकि इस इलाके में टिकैत का खासा प्रभाव है।
मगर सपा, बसपा, आरएलडी के भाग न लेने से कांग्रेस को झटका लगा है। उनकी राहुल को पीएम कैंडिडेट बनाने की कोशिश पर इसका असर पड़ेगा। इससे अलग यात्रा को यूपी में जनता का अच्छा समर्थन मिला है, जो प्रियंका गांधी की मेहनत का प्रतिफल है। इस जन समर्थन को ही अब आधार बना राहुल को अपनी रणनीति बनानी पड़ेगी। ये समर्थन वोट में बदलेगा या नहीं, कांग्रेस का सांगठनिक ढांचा खड़ा होगा या नहीं, ये तो आने वाला समय ही बतायेगा।
मगर यूपी में यात्रा पहुंचते ही विपक्ष की एकता को लेकर फिर टकराव की बात सामने आ गई, जो भाजपा के लिए राहत की बात है। अगर विपक्ष अगले आम चुनाव में बिखरा रहा तो फायदा भाजपा का होना तय है।


- मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार