– पिछले 9 महीने में 205 रुपए से ज्यादा की हो चुकी वृद्धि
जयपुर। कोरोना संकट के दौर में पेट्रोल डीजल के साथ ही घरेलू गैस के दामों में वृद्धि ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है. पेट्रोल 109 रुपए 97 पैसे के पर चल है तो बिना सब्सिडी के घरेलू गैस सिलेंडर के दाम भी ₹900 के पार यानी 903 रुपए 50 पैसे के स्तर पर पहुंच गए हैं.।
दरअसल पिछले 9 महीने में घरेलू गैस के दामों में ₹205 रुपए 50 पैसे की वृद्धि हो चुकी है. गैस वितरण कंपनियों की मनमानी का आलम यह है कि पिछले 8 महीने में 8 बार घरेलू सिलेंडर के दाम में वृद्धि की गई है।
आज एक बार फिर घरेलू गैस सिलेंडर में 15 रुपए प्रति सिलेंडर की वृद्धि की गई जबकि वाणिज्यिक सिलेंडर में 3 रुपए की कमी की गई।
अब इस महीने 14.2 किलो का घरेलू गैस सिलेंडर 903 रुपए 50 पैसे में मिलेगा. कमर्शियल सिलेंडर 1748.50 रुपए का मिलेगा. एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर फेडरेशन के प्रदेश महासचिव कार्तिकेय गौड़ ने बताया कि घरेलू गैस सिलेंडर पर दाम बढ़ने के बावजूद सब्सिडी को लेकर कोई फैसला नहीं किया गया है. इसका मतलब है कि ₹205 प्रति सिलेंडर दर बढ़ने के बावजूद सब्सिडी नहीं मिलेगी।
– पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार वृद्धि का दौर जारी, रोज बन रहा नया रिकॉर्ड
– घरेलू गैस सिलेंडर पर केंद्र और राज्य सरकार ढाई-ढाई फीसदी जीएसटी ले रही
आपको बता दें कि करीब 4 महीने स्थिर रहने के बाद पेट्रोल-डीजल के दामों में भी वृद्धि का दौर शुरू हुआ था. अब घरेलू और कमर्शियल गैस के सिलेंडर की कीमत बढ़ाकर मार्जिन बढ़ाने के प्रयास किए हैं.
पेट्रोलियम कंपनियों की मनमानी का दौर जारी है और आम उपभोक्ता मुश्किल में पड़ गया है.
घरेलू गैस सिलेंडर पर केंद्र और राज्य सरकार ढाई-ढाई फीसदी और कमर्शियल सिलेंडर पर नौ-नौ फ़ीसदी जीएसटी ले रही हैं. अभी तक यह परंपरा रही थी कि तेल कंपनियां महीने की शुरुआत में रसोई गैस के दामों में परिवर्तन करती लेकिन पिछल 9 महीने से यह परंपरा भी टूट गई है.
– कीमतों में वृद्धि ने आम आदमी का बजट को बिगाड़ दिया
आंकड़े साफ तौर पर इस बात को बयां कर रहे हैं कि प्रत्येक घरेलू गैस सिलेंडर पर केंद्र और राज्य सरकार प्रत्येक को 19 रुपए 60 पैसे और कमर्शियल सिलेंडर पर केंद्र और राज्य सरकार प्रत्येक को प्रति सिलेंडर 123 रुपए 94 पैसे मिल रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम स्थिर होने और गैस में आत्मनिर्भरता की स्थिति होने के बावजूद तेल कंपनियां आम आदमी की कमर तोड़ने में लगी हुई हैं.
लगातार मनमाने तरीके से कीमतों में वृद्धि ने आम आदमी का बजट को बिगाड़ दिया ही है साथ ही कोरोना संकट के दौर में 2 जून की रोटी पर भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.