यह आदर्श बात क्षमारामजी महाराज ने गुरुवार को श्रीमद् भागवत कथा एवं ज्ञानयज्ञ का वाचन करते हुए कही। क्षमारामजी महाराज श्रीगोपेश्वर महादेव मंदिर मैदान में पितृपक्ष अवसर पर चल रही पन्द्रह दिवसीय कथा में कथावाचन कर रहे हैं। कथा का आज 13 वां दिन रहा। आज की कथा में क्षमाराम जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण, बलरामजी का ब्रजवासियों के मथुरा जाना और वहां पर कंश द्वारा आयोजित की गई रंगशाला में भाग लेना तथा कंश के वध करने का प्रसंग विस्तार पूर्वक बताया। कथा में श्रीकृष्ण और बलराम जी का मथुरा में भ्रमण करना, धोबी को मुक्ति देना, कुरुपा को सौन्दर्य प्रदान करना एवं धनुष को तोडऩे सहित पुबलया हाथी को मार गिराने सहित अन्य प्रसंगो की विवेचना की।
क्षमारामजी महाराज ने वर्तमान समय में वेशभुषा के इस्तेमाल में आए बदलाव पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आजकल की बच्चियां तंग कपड़े पहनती है। ऐसे कपड़े कि अगर कोई वस्तु गिर जाए और उसे उठाना पड़ जाए तो वह उठा ना सके। महिलाओं ने भी वस्त्र ऐसे पहनने शुरु कर दिए हैं जिन्हें देखकर लज्जा आने लगती है। उन्होंने माताओं, बहनों व बेटियों के संबोधन से कहा कि वेशभुषा हमारी खास धरोहर थी, वह हमने खो दी है। आज और धर्म के लोगों ने अपनी पहचान बना रखी है। महाराज ने कहा कि हमारे आदर्श और शिक्षा में कहीं पर भी कमी नहीं है, कमी है तो अपने में है जिसे दूर करने की आवश्यकता है। महाराजजी ने महिलाओं को श्रृंगार कर घर से बाहर निकलने को भी शास्त्र विरुद्ध बताते हुए ऐसा ना करने की सलाह दी।