जेसीआई इंडिया बेंगलुरु होराइजन शाखा द्वारा ऑनलाइन प्रशिक्षण आयोजित
रिपोर्ट – ओम एक्सप्रेस
बेंगलुरु। जूनियर चैम्बर इंटरनेशनल इंडिया के बेंगलुरु होराइजन शाखा के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक और प्रेरक वक्ता सुनील सांखला जैन वेबिनार द्वारा – ” मैं ही क्यों ” विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
प्रशिक्षक और प्रेरक वक्ता सुनील सांखला जैन ने बताया कि हम अक्सर मैं ही क्यों हमेशा ऐसी मुश्किल परिस्थिति में फंस जाता हूँ, या मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?”, सभी मुश्किल समय में ऐसा सोचते हैं। हम ऐसी सोच से कैसे उबर सकते हैं? सकारात्मक विचार रखते हुए दिक्कतों को चुनौतियों के रूप में स्वीकार कर ऐसी परिस्थितियों से उबरा जा सकता है। जीवन में कोई अप्रिय पल, संकट आते ही हमारा सबसे पहला सवाल यही होता है, मैं ही क्यों! ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है। ऐसा सोचते हुए हम भूल जाते हैं कि हम जब सुख की नदी के तट पर थे, तो हमने कभी यह नहीं कहा कि ‘मैं ही क्यों’.
हमारे सामने आने वाले प्रमुख संकट अक्सर रिश्तों के तनाव, एक-दूसरे से मतभेद, अलगाव, नौकरी में उतार-चढ़ाव, माता-पिता के नहीं समझे जाने, बच्चों की ओर से मिलने वाली उपेक्षा से जुड़े होते हैं। असल में हम सबसे अधिक टूटते उन्हीं रिश्तों से हैं, जिनसे गहराई से जुड़े होते हैं। हम दुनिया का तनाव सह लेते हैं, लेकिन परिवार, पति पत्नी, माता-पिता की जरा सी कड़वी बात हमसे बर्दाश्त नहीं होती। किसी से धोखा मिला। कोई अवसर दूसरे को मिल गया। किसी ने छल किया। जन्म-जन्म का साथ निभाने की कसमें को एक झटके में कोई तोड़ गया। अब क्या करें। ऐसे में बहुत आसानी से मन को निराशा के भंवर घेर लेते हैं। इन भंवरों से जीवन की नाव को सावधानी से बचाना है।
सुनील सांखला जैन ने कहा कि बहुत ही मजेदार हैं ये शब्द हमारे जीवन में “क्यों…?” मैं ही क्यों…? मेरे साथ ही क्यों…? मुझे ही क्यों…? जानते हैं इसके पीछे छिपे सवाल तथा उनके जवाबी कितने ही सवाल हमारे मन में इस ‘क्यों…’ के कारण उत्पन्न हो जाते हैं, कई अनसुलझे से ख्याल हमारे इर्द-गिर्द आने लगते हैं I मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ? वह मुझसे बात नहीं करता तो मैं क्यों करूँ? वह सोशल मीडिया पर मेरी फोटो लाइक नहीं करता तो मैं उसकी फोटो लाइक क्यों करूँ? वे तो कभी हमारे घर नहीं आये तो मैं ही हर बार उनसे मिलने क्यों जाऊँ? ऐसे कई सवाल इस ‘मैं क्यों’ के कारण मन-मस्तिष्क में उभरते हैं I ‘क्यों’ के साथ ‘मैं’ जुड़ जाने से ही उसमें अहम् की भावना आ जाती है, व्यवहार में अहंकार दिखने लगता है I आपने अनेक दृष्टांत प्रस्तुत कर सभी को समझाया I
‘मैं ही क्यों?’ से कभी झुंझलाहट का भाव आता है तो कभी स्वयं पर अभिमान का भाव I जीवन में इस ‘क्यों’ में फंसने की बजाय इससे बाहर निकलने की बहुत आवश्यकता है I आप इसलिए क्योंकि आपमें क्षमता है, आपमें आत्मविश्वास है, साहस है, कुशलता है I अब अगर इस ‘मैं क्यों’ के साथ ‘नहीं’ जोड़ दें तो इस मैं क्यों नहीं से बहुत से सवालों के जवाब खुद ही सुलझ जायेंगे और आपमें स्वाभिमान के साथ लगनपूर्वक काम करने की इच्छा जागृत होगी I दूसरों के नकारात्मक विचारों, उनकी सोच और व्यवहार से आहत होकर या उनके प्रभाव में आकर आप अपने व्यक्तित्व से दूर हो जाते हैं I नकारात्मक विचारधारा वाले, आपका फायदा उठाने वाले लोग प्रत्येक जगह है I नकारात्मक विचारों को स्वयं पर हावी होने देंगे तो प्रभावशाली व्यक्तित्व को कभी नहीं अपना सकेंगे I नकारात्मक सोच वाले लोगों से दूर रहें I सुनील सांखला जैन ने प्रेरणा देते हुए कहा कि अपनी सोच को ‘मैं क्यों…?’ से ‘मैं क्यों नहीं…?’ तक लाइए I सकारात्मक सोच रखिये I सोचिये मैं क्यों नहीं कर सकता ? मैं बिलकुल कर सकता हूँ I मैं इसलिये करता हूँ क्योंकि मुझमें काबिलियत है I मैं क्यों नहीं कर सकता की इस सोच के साथ उत्पन्न होता है आत्मविश्वास I सोचें कि लोग आपको याद क्यों करें? इसका जवाब इस तरह से दें कि आपकी शख्सियत प्रभावशाली है I आप श्रेष्ठ हैं I आपको भूल पाना आसान नहीं क्योंकि आपका व्यक्तित्व प्रेरणादायक है I इन सभी सिद्धांतों पर कार्य करके आप ‘मैं ही क्यों’ से ‘मैं क्यों नहीं’ पर शीघ्र आ पायेंगे I स्वयं के उत्थान के लिये, दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ संबंधों को सुधारने के लिए, कार्यस्थल तथा समाज में अपना योगदान देने के लिये “हमेशा मैं क्यों नहीं” पर कार्य करें ।
प्रशिक्षण के अंत में सभी प्रशिक्षुओं ने अपने फीडबैक में सुनील सांखला जैन द्वारा दिए गए प्रशिक्षण की सराहना की I इस प्रशिक्षण में बड़ी संख्या में सदस्यों के साथ जोन के पदाधिकारियों की उपस्थिति रही । जेसीआई इंडिया बेंगलुरु होराइजन के अध्यक्ष निष्यन्त ने सभी का स्वागत एवं सुनील सांखला जैन का अभिनन्दन किया। शाखा उपाध्यक्ष लता ने संचालन किया। मंत्री भावना ने धन्यवाद ज्ञापन किया ।