बीकानेर। ग्लूकोमा यानिकी काला पानी या काला मोतिया से होने वाली अन्धता के प्रति आमजन को संवेदनशील करने ‘‘बीट इनविजिबल ग्लूकोमा’’ थीम पर विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया गया। पीबीएम अस्पताल के नेत्र विभाग व जिला स्वास्थ्य समिति (अन्धता) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सप्ताह में दिनांक 8 से 14 मार्च तक पोस्टर कॉरिडोर, विडियो फिल्म प्रदर्शन व जांच शिविर आयोजन किए गए। शनिवार को ग्लूकोमा वीक का समापन हुआ।
अंतिम दिन इएनटी अस्पताल के सेमिनार हॉल में मेडिकल विद्यार्थियों के साथ प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया। सप्ताह भर चले कार्यक्रमों से सम्बंधित विजेताओं को पारितोषिक वितरण भी किया गया।
नेत्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अंजू कोचर ने बताया कि वैसे तो ग्लूकोमा के लक्षण बमुश्किल ही दिखाई देते हैं लेकिन फिर भी यदि किसी को रौशनी के चारों ओर घेरा दिखता है, आँख में लालिमा है, पानी गिरता है, धुंधलापन है व सिरदर्द, उल्टी बार-बार है तो तुरंत जांच करवानी चाहिए। डॉ शिल्पी कोचर ने बताया कि आँख में द्रव का दबाव बढ़ने से ऑप्टिक नर्व दब जाती है जिससे अन्धता की समस्या होने लगती है। डायबिटीज-उच्च रक्तचाप के मरीजों व ज्यादा स्टेरॉयड दवाओं के उपयोग वालों को ग्लूकोमा का जोखिम ज्यादा रहता है।
इस अवसर पर डॉ अनंत शर्मा व जिला आई.ई.सी. समन्वयक मालकोश आचार्य सहित विभाग के चिकित्सक व विद्यार्थी मौजूद रहे। इसी के साथ मेडिकोज ने ग्लूकोमा विषय पर नुक्कड़ नाटक का मंचन कर मरीजों के परिजनों व आमजन को जागरूक किया।
‘‘भारत में लगभग एक करोड़ से ज्यादा लोग काला पानी से ग्रसित है। ये अपरिवर्तनीय है लेकिन नियमित आई ड्रॉप्स से नुक्सान को बढ़ने से रोका जा सकता है। आँखें कुदरत की सबसे अनमोल देन हैं जो हमें संसार से जोड़ती हैं, इन्हें ग्लूकोमा यानिकी काला पानी से बचाने के लिए आँखों की नियमित जांच जरूर करवानी चाहिए।’’
जिला अस्पताल में किया जन जागरण
एसडीएम जिला अस्पताल में नेत्र ओपीडी में मरीजों व परिजनों को ग्लूकोमा को लेकर जागरूक किया गया। जिला स्वास्थ्य समिति (अन्धता) के पम्फलेट वितरित किए गए। डॉ घनश्याम तंवर, डॉ गुलाब खत्री व डॉ रेखा मेहता ने मरीजों की ग्लूकोमा सम्बन्धी जांच की और आवश्यक दवाइयां वितरित की। इस अवसर पर कार्यवाहक पीएमओ डॉ भूपेन्द्र शर्मा व डॉ एम एस राजपुरोहित मौजूद रहे।