– कोटा में बच्चों की मौत के बाद बाड़मेर के अस्पताल के हालातों को लेकर गहलोत सरकार पर खड़े हुए सवाल.

जयपुर. राजस्थान के कोटा में बच्चों की मौत का मामला पूरे देश में जबरदस्त तरीके से गहलोत सरकार पर कई सवाल खड़े कर रही है लेकिन अब जो रिपोर्ट हम आपको बताने जा रहे हैं उसको देखने और सुनने के बाद शायद आप यह जरूर करेंगे कि आखिर राजस्थान में इतने बच्चों की मौत कैसे और क्यों हो रही है? जब बच्चों के परिजनों ने ठंडी हवाओं से बचने के लिए खिड़कियों पर चदर लगा रखे हैं तो कुछ और कागज के गत्ते लगा रखा है लेकिन हालत यह है कि रात होती है तो यहां पर इतनी ठंडी हवाएं आती हैं कि बीमार बच्चों का तो क्या उनके साथ आए परिजनों की भी हालत खराब हो जाती है. तो आप सोचिए बच्चों की क्या हालत होती होगी?

ऐसे ही एक बच्चे की मौत 2 दिन पहले हो गई है. इस परिवार का यह आरोप है कि बच्चा पहले बीमार था अस्पताल में जांच करवाने के बाद भर्ती किया गया तो हमें इसी जगह रखा गया था लेकिन जिस तरीके की व्यवस्था थी उससे लगातार जबरदस्त तरीके से ठंडी हवाएं आ रही थी. उस कारण से मेरा बच्चा और बीमार पड़ गया और 5 घंटों में उसकी मौत हो गई.

इससे भी हैरान करने वाली बात यह है कि कोटा में तो मौत का आंकड़ा सिर्फ 5 प्रतिशत के आसपास का है लेकिन राजस्थान के बाड़मेर में यह आंकड़ा सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे यह आंकड़ा 5 नहीं 6 प्रतिशत से भी ज्यादा है.

देश भर में जहां कोटा जेके लोन हॉस्पीटल में हुए बच्चों की मौत पर दिन-ब-दिन प्रदेश सहित पूरे भारत मे इस कड़ाके की सर्दी मे राजनीति गर्मी बढ़ा दी तो वहीं बाड़मेर में अभी सर्दी ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इस कड़ाके की ठंड मे शिशु वार्ड में अव्यवस्था देखने को मिली. जहां खिड़कियों में लगे करीब करीब सारे कांच टूटे हुए थे और शिशु के परिजनों ने अपने बच्चों को सर्दी से बचाने के लिए जुगाड़ करके चदर और कागज के गत्ते, टूटी खिड़कियां लगा रखी हैं.

यही नहीं बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित राजकीय अस्पताल में वर्ष 2019 में बच्चों के मरने का आंकड़ा 6 प्रतिशत से भी ज्यादा है. अभी एक दिन पहले हॉस्पिटल में भर्ती एक बच्ची की मौत हो गई और परिजनों का आरोप है की सर्दी में खिड़कियों के कांच टूटे होने से बच्ची बीमार तो थी ही और सर्दी लगने से और डॉक्टरों की लापहरवाही की वजह से मौत हो गई.

बाड़मेर में इस वक्त सर्दी अपने चरम पर है और हर कोई अपने-अपने ढंग से जतन कर रहा है. पारा अभी 5 से 6 डिग्री पर है लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन ने हॉस्पिटल में पुख्ता बंदोबस्त नहीं होने की वजह से बच्चों की सर्दी से हालात खराब हो रही है. जब हमारी टीम हॉस्पिटल के शिशु वार्ड पहुंची तो टीम ने देखा की वार्ड में लगी खिड़कियों के कांच टूटे हुए हैं और उन खिड़कियों पर बच्चों के परिजनों ने चदर और कागज के गत्ते लगाकर और अपने घर से ब्लेंकेट लेकर सर्दी से बच्चों को बचा रहे हैं.