इंसान का शरीर उसकी सबसे बड़ी पूंजी होती है और शरीर को बहुत नजाकत के साथ मेंटेन करना चाहिए, आपकी सोच आपका मस्तिष्क आपका दिल आप की धड़कन आपका शौर्य आपकी मेहनत आपके कर्म आपके आचार विचार यह सब दूसरों को प्रभावित करते हैं। आपका आभामंडल और आपका व्यक्तित्व सुचारू बना रहे इसलिए आपको ध्यान, योग, सामाजिक और घर परिवार के संस्कार, नैतिक शिक्षा इन सब बातों पर बचपन से ही जोर दिया जाता है। युवा होते होते ही आपको शिक्षित और हुनरबाज होने पर ध्यान दिया जाता है ताकि आप अपनी आजीविका चला सकें। आजीविका की दौड़ में कई इतना आगे चले जाते हैं कि वह अपने स्वयं पर ध्यान ही नहीं दे पाते उनके मस्तिष्क का तनाव उन्हें चिड़चिड़ा बना देता है बीमारियों मे घिरा देता है। वे पैसे कमाने की होड़ में लालची बन जाते हैं गैरकानूनी कामों में लिप्त हो जाते हैं और दूसरे के पैसे को हड़प्पा की अपनी विचारधारा बनाए रखते हैं। जिन बच्चों को संस्कार नहीं मिल पाते हैं वह नशे के आदी हो जाते हैं और गलत काम में लिप्त हो जाते हैं। कई लोग पैसा कमाने की चाह में बच्चों को चुरा लेंगे महिलाओं से वेश्यावृत्ति कराने जैसे घिनौने कार्य करते हैं। इन सब पर काबू करने के लिए शासन प्रशासन ने कानून की व्यवस्था कर रखी है। जिनके जुम्मे कानून की व्यवस्था है यदि वह संस्कारित है और आदर्शता कि मिसाल है इमानदारी से अपना कर्म करे तो तो जुर्म त्वरित खत्म हो जाएगा।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, वास्तुविद्)