एक बात हमें अच्छी तरह जान लेना चाहिए कि हम पृथ्वी के इकोसिस्टम के पार्ट है। हमारा काम जिस तरह जानवरों का फल फ्रूट सब्जी घास पुस खाना और उसे मल में कन्वर्ट करना है। उसी तरह हमारा जीवन भी यही काम के लिए है। हमारे जीवन की आयु सीमा भी निर्धारित है। हम अपने इस काम से नही मुकरे इसलिए प्रकृति ने हमको भूख दे दी आपको भूख लगेगी तो आप घास फूल पत्ति फल जो मिलेगा वह खाएंगे क्योंकि खाना आपकी आवश्यक है।और जब आप खाएंगे तो उसको आप मल के रूप में विसर्जित भी करेंगे और वही पुनः खाद बनेगा और नई फसल को बढ़ने में मदद करेगा। यदि हम इतना समझ ले तो हमें सबसे पहले अपने आप से प्यार होना चाहिए, पहले अपने शरीर का ध्यान रखो, काॅच देखकर अपने बोलने, बालो की, मुस्कुराने और खड़े रहने की एक स्टाइल बनाओ। कौन से कपडो मे अच्छे दिखेगे। यह ध्यान रखो हमें बोलते हुए कैसी अपने भाव भंगिमा रखना है उस पर ध्यान दो। अपने मन में जो अच्छी चीज आती है उसे जरूर करो। जब आप स्वयं से प्यार करेंगे तो आप अपने बारे में क्या अच्छा है क्या बुरा है यह सब जान जाएंगे, जितने सुंदर तरीके से आप रहेंगे, जितने सफाई के साथ आप रहेंगे उतना आपके सोच और काम करने के तरीके मे निखार आएगा। और यही निखार आपकी श्रॄंगारीत जीवन शैली रहेगी। आपके अंदर की कला और क्वालिटी को पहचानो और उसे तराशे।

अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)