इटावा।मोनी अमावस्या की रात बाबा भैरव गौरवनाथ अघोरी जी ने अपने शिष्यों के साथ अर्ध रात्रि 12 बजे से 2 बजे तक श्मशान में वास करने वाली पराअम्बा मां तारा समेत अन्य दैवीय शक्तियों की कठिन साधना कर उनका आह्वान किया।इस रहस्यमय आध्यात्मिक पलो का मैं भी गवाह बना।रहस्य व रोमांच से भरपूर अध्यात्म के ये वो पल थे जो मेरे आध्यात्मिक जीवन मे पहली बार घट रहे थे।बाबा जी ने इस मौनी अमावस्या की रात माता के साथ रहने वाली योगनियां डाकिनीयां शाकिनीयां समेत सबसे हम भक्तों के साक्षात्कार करवाए।ततपश्चात पराअम्बा के भी साक्षात्कार करवाये।इटावा के शमसान में वास करने वाली ये सभी दैवीय शक्तियां सनातन धर्म के ढोंगी बाबाओं से बेहद क्रोधित थीं।इन दैवीय शक्तियों ने चेतावनी दी कि अगर इन बाबाओं ने अपने ढोंग बन्द न किये तो अब यह दंड के भागी बनेंगे।बाबा भैरव गौरवनाथ अघोरी जी की साधना से मौजूद भक्तों को पहली बार यह रहस्य पता चला कि इटावा के इस रहस्यमयी श्मशान में दिव्य शक्तियां,शमसान के किस किस स्थान पर विराजमान है और रात्रि कलीन प्रहर में कहां विचरण करती रहतीं हैं।

इटावा के शमसान में ढोंगियों को मिलते है भूत प्रेत व पिशाच

इस बार की मौनी अमावस की रात में बाबा जी की साधना ने हम सभी भक्तों के मन में श्मशान के रहस्य को लेकर चलने वाले भय को दूर किया।बाबा भैरव गौरवनाथ अघोरी की इस साधना के समय जो जो रहस्यमयी घटनाक्रम घटते गए वे बेहद रोमांचकारी आनन्द देने वाले थे।इस शमसान में दोनो तरह की शक्तियां साक्षात विराजमान हैं।ढोंगियों को इस शमसान में भूत प्रेत पिसाच से साक्षात्कार होता जबकि श्रद्धा व भाव से साधना करने आने वाले गुरुमुखी साधकों को इस इटावा के शमसान में वे दैवीय शक्तियां भी प्रसन्न होकर दर्शन दे देती है।जिनकी हम कभी परिकल्पना भी नही कर सकते।

दिव्य स्थल है माता सती का स्थान

लगभग ब्रह्ममहूर्त लगते लगते हम सभी भक्त बाबा भैरव गौरवनाथ अघोरी जी के साथ माता सती के स्थान पर थे।आमवस्या की इस गलन भरी रात में सत्य की तलाश में बाबा जी के साथ विचरण करने वाले हम भक्तों की भी पग पग पर परीक्षा चल रही थी।देश के हैदराबाद से आये बाबा जी के परम भक्त(जिनका नाम मुझे इस समय याद नही)को तो बाबा जी के साथ चल रही दिव्य शक्तियों ने काफिले के साथ चलना ही दूभर कर दिया,रास्ते की दिव्य शक्तियां उन्हें काफिले से पीछे धकेल रही थीं,फिर बाबा जी उस स्थिति को समझा और फिर उस भक्त को कुछ ऐसी शक्ति प्रदान की,वो फिर वे बाबा जी के काफिले में अंत तक सबसे आगे रहे।रास्ते में यह सभी को अहसास हुआ कि श्मशान से लेकर पडराये हनुमान जी व माता सती के मंदिर तक कण कण,दिव्य शक्तियों का आश्रय स्थल है।जो इस रात हम भक्तों को बाबा जी ने साक्षात आत्मसात करवाया।फिर माता सती के स्थान पर बाबा जी ने अपनी साधना शुरू की जो सुबह तक चली।इस स्थान पर भी अमावस की रात के ब्रह्ममहूर्त पर जो जो सुखद आध्यात्मिक घटनाएं घटित हुई उनका वर्णन कर पाने अब मेरी सामर्थ्य नही है,या समझ लीजिये कि उन दिव्य आत्माओं का आगे कुछ भी लिखने का मुझे आदेश नही है इसलिये इसके आगे लिखने मैं असमर्थ हूँ।सुबह लगभग 5 बजे हम बहुत सारे भक्त बाबा जी से आदेश लेकर वापस चले आये और बाबा भैरव गौरवनाथ अघोरी जी अपने कुछ शिष्यों के साथ सती माता के पास अपनी साधना में लीन बने रहे।

बहुत दिनों बाद कोई संत आया है इस इष्टिकापुरी में

हमारी यह इष्टिकापुरी बड़े बड़े दिग्गज सन्तो की तपोभूमि है।पुज्यनीय नाथ बाबा जी, खटखटा बाबा,पूज्यनीय आत्मानन्द जी,पुज्यनीय नेपाली बाबा जी,पुज्यनीय ज्ञान दास जी पुज्यनीय ठड़ेश्वरी लवकुश गिरि जी,पुज्यनीय राजू महाराज समेत कई ऐसे संत इस इष्टिकापुरी में और भी है जिनके मैं नाम भी नही जानता,इन सन्तो ने अपने तप से इस इटावा के वासियों का अध्यात्म के तौर पर विकास किया और उनके आध्यत्मिक चिंतन को नए नए आयाम भी दिए।ठीक उसी क्रम में आज श्मशान के सामने कठिन साधना कर रहे बाबा भैरव गौरवनाथ अघोरी जी भी हैं।वे यहां के वासियों को बहुत कुछ आद्यात्मिक ज्ञान सोच व चिंतन देने आये हैं,अब यह तो पात्र के पर निर्भर है कि कौन कितना ग्रहण कर पाता है।🌹