न्यायालयों में लंबित राजीनामा योग्य प्रकरणों की होगी सुनवाई

जयपुर,8 फरवरी। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से वर्ष 2023 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन शनिवार 11 फरवरी को किया जायेगा। यह लोक अदालत राजस्थान उच्च न्यायालय की जोधपुर एवं जयपुर पीठ सहित प्रदेश के सभी न्यायालयों एवं अधिकरणों में लगेगी।

इस सम्बन्ध में बुधवार को राजस्थान हाईकोर्ट परिसर में स्थित रालसा कार्यालय में एक संवाददाता सम्मलेन आयोजित किया गया। संवाददाता सम्मलेन को सम्बोधित करते हुए राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री प्रमिल कुमार माथुर ने बताया कि इस राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायालय में लंबित राजीनामा योग्य फौजदारी प्रकरण, चैक अनादरण के मामले, सिविल मामले जैसे धन वसूली, किरायेदारी, बंटवारा, निषेधाज्ञा, घोषणा एवं विनिर्दिष्ट पालना आदि के दावे, एम.ए.सी. टी. के प्रकरण, तलाक़ को छोड़कर समस्त पारिवारिक विवाद, सर्विस मैटर्स और राजस्व मामलों सहित राजीनामा योग्य सभी प्रकरण रखे जायेंगे।

उन्होंने बताया कि लोक अदालत ऐसा मंच है जहाँ दोनों पक्षों को बैठाकर उनके बीच समझाइश से समझौता करवाया जाता है ,और जो समझौता होता है उसका निर्णय अंतिम होता है, जिसकी आगे अपील नहीं होती।श्री प्रमिल माथुर ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में अपने प्रकरण रैफर करवाने के लिए पक्षकार सम्बंधित न्यायालय या विभिन्न स्तर पर स्थापित विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा रालसा के मोबाइल एप्प ‘न्याय रो साथी’ के माध्यम से भी आवेदन किया जा सकता है।

लोक अदालत के लाभ –
श्री प्रमिल माथुर ने बताया कि लोक अदालत के कई लाभ हैं। इनमें मुख्य रूप से त्वरित न्याय मिलना,दोनों पक्षकारों को आपस में संवाद करने का मौका मिलना और प्रकरण का अंतिम रूप से निपटारा होना मुख्य है।

श्री माथुर ने बताया कि इस राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए राजयभर में तालुका स्तर तक लगभग 500 बैंचों का गठन किया गया है,जिनमें अब तक कुल 4 लाख 65 हज़ार 614 प्री-लिटिगेशन के तथा 3 लाख 41 हज़ार 528 प्रकरण जो न्यायालयों में लंबित है,रखे गए हैं। इस प्रकार अब तक कुल 8 लाख 7 हज़ार 142 मामले सुनवाई हेतु रैफर किये जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि लोक अदालत के प्रति आमजन, पक्षकारों एवं अधिवक्ताओं में काफी उत्साह है।