क्रांतिकारी पत्र युगान्तर के अंतिम अंक में थी बम निर्माण की प्रक्रिया और मूल्य रखा गया फिरंगी का कटा हुआ सर : डॉ.मेघना शर्मा



बीकानेर।स्वतंत्रता कालीन पत्रकारिता के दौर में वारीन्द्र घोष के युगान्तर पत्र का संपादक कौन है ये मालूम करना ब्रिटिश सरकार के लिये तब लगभग असंभव हो गया जब कई लोग देशप्रेम के चलते और पत्र के संपादक को बचाने की जुगत में ख़ुद को संपादक बताकर जेल चले जाने से भी नहीं कतराते थे।
क्रांतिकारी पत्र युगान्तर के अंतिम अंक में बम निर्माण की सम्पूर्ण प्रक्रिया शामिल थी और उसका मूल्य रखा गया फिरंगी का ताज़ा कटा हुआ सर।
उक्त विचार बीकानेर के एमजीएसयू की इतिहासविद डॉ.मेघना शर्मा ने नागपुर के राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ और महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा पुणे, नागपुर द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी व मराठी साहित्य का अवदान विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रथम दिवस के चतुर्थ सत्र में मंच से सांझा किये।
डॉ. मेघना ने मुख्य रूप से आर्य पत्रकारिता के तीन युगों को दृष्टिगत रखते हुये स्वतंत्रता कालीन पत्रकारिता एवं साहित्यिक परिदृश्य पर अपना व्याख्यान केंद्रित रखा।
इससे पूर्व उद्घाटन सत्र में संगोष्ठी संयोजक डॉ. मनोज पाण्डेय द्वारा संपादित स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी साहित्य का अवदान विषयक पुस्तक का मंचस्थ विद्वानों द्वारा लोकार्पण किया गया जिसमें बीकानेर की डॉ॰ मेघना का आलेख भी प्रकाशित हुआ है।
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की प्रधान संपादक डॉ. अमिता दुबे ने भी मंच से अपने विचार प्रस्तुत किये।अध्यक्षता नागपुर विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो. दुधे ने की।