जयपुर। फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री (फोर्टी) के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि दुनियाभर में कोरोना महामारी के बीच अमेरिका में कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट आई है। कच्चा तेल 99.58 फीसदी तक गिरकर 0.15 डॉलर प्रति बैरल होने से वैश्विक इकोनॉमी पर संकट गहराने के संकेत है। उल्लेखनीय है कि भारत में तेल लंदन और खाड़ी देशो का एक मिश्रित पैकेज होता है, जिसे “इंडियन क्रूड बॉस्केट” कहते है, में करीब 80 % हिस्सा ओपेक देशो का तथा बाकि लंदन ब्रेंट क्रूड तथा अन्य का होता है.
सिर्फ यही नहीं, दूनिया के करीब 75% तेल डिमांड का रेट ब्रेंट क्रूड से तय होता हैं, यानि भारत के लिए ब्रेंट क्रूड का रेट महत्व रखता हैं, अमेरिकी क्रूड का नहीं. ब्रेंट क्रूड के आज के भाव 25 डॉलर प्रति बैरल और इंडियन बॉस्केट का क्रूड करीब 20 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं। यह दुनिया समेत भारत की इकोनॉमी के लिए शुभ संकेत नही हैं, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से पेट्रोलियम की मांग मे भारी गिरावट आई है, इसके चलते क्रूड ऑयल के भावो में इतनी भारी गिरावट आई हैं, जिसकी वजह से खाड़ी देश, जिनकी इकोनॉमी ही पूरी तरह से तेल पर निर्भर हैं, इससे उन देशों की अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी।
फोर्टी उपाध्यक्ष नरेश चोपड़ा व
चीफ सेक्रेट्री एडमिनिस्ट्रेशन नरेश सिंघल के अनुसार खास बात यह है कि खाड़ी देशो मे करीब 80 लाख भारतीय काम करते है जो हर साल करीब 50 अरब डॉलर की रकम भारत भेजते है। खाड़ी देशों की इकोनॉमी गड़बड़ाने से रोजगार पर भी संकट आएग तो वो रकम भी भारत को मिलनी बंद हो जायेगी और 80 लाख लोग बेरोजगार हो जायेंगे। साथ ही भारत के निर्यात का बड़ा हिस्सा जो खाड़ी देशों में जाता हैं, लेकिन अभी वहाँ की इकोनॉमी डांवाडोल होने से भारत के निर्यात पर भी बड़े पैमाने पर प्रभावित होगा। जिसका सीधा असर देश की मौजूदा इकोनॉमी पर पड़ेगा।