प्रस्तुति – अनमोल कुमार
– इस दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी के साथ चंद्रदेव की पूजा करने से समस्याएं होती है दूर
पंचांग के अनुसार इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा आज 19 नवंबर शुक्रवार को है। इस दिन कार्तिक मास का समापन भी हो रहा है।इस दिन यानि कार्तिक पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि नामक योग और वर्धमान योग भी बन रहा है जो इस दिन की पूजा के महत्व में वृद्धि कर रहे हैं।
इस पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का विनाश किया था। तभी से भगवान शंकर को त्रिपुरारी कहा जाता है।
धर्मग्रंथों के अनुसार देव दीपावली यानि कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने का बहुत महत्व है। पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी के साथ चंद्रदेव की पूजा करने से भक्तों की आर्थिक, मानसिक और शारीरिक समस्याएं दूर होती हैं। इस दिन गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान करना बहुत फलदाई है। यदि नदियों में स्न्नान करना संभव न हो तो घर पर सूर्योदय से पूर्व नहाने के जल में गंगा जल डालकर स्न्नान कर सकते हैं। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर कुछ पुण्यदायक कार्य हैं, जिनको करने से आपके जीवन के कष्ट दूर होंगे।
– सूर्योदय से पूर्व स्नान
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत लाभकारी माना गया है। स्नान का उत्तम समय सूर्योदय से पूर्व तारों की छाँव में माना गया है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश, आदित्य, मरुदगण तथा अन्य सभी देवी-देवता कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर में स्नान करते है ।
*विधिवत स्न्नान से भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहेगी*
मान्यता है कि देवों की दीपावली मानी जाने वाली कार्तिक पूर्णिमा पर विधिवत स्न्नान करने से भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है। यदि आप गंगा स्नान करने नहीं जा सकते तो आप घर में ही थोड़ा सा गंगाजल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करें।
– मत्स्यावतार
विष्णु पुराण के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान नारायण ने मत्स्यावतार लिया था।
– लक्ष्मी पूजन का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा पर लक्ष्मी जी की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन लक्ष्मी स्तुति और लक्ष्मी मंत्रों का जाप करना शुभ माना गया है। लक्ष्मी जी की पूजा आर्थिक समस्याओं को दूर करती है।
– सूर्य नारायण को अर्घ्य
पदमपुराण के अनुसार पूजा, तपस्या, यज्ञ आदि से भी श्री हरि को उतनी प्रसंनता नहीं होती, जितनी कि प्रातः स्नान कर जगत को प्रकाश देने वाले भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को नियमित सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य को अर्घ्य अवश्य प्रदान करना चाहिए।
– इन चीजों का करें दान
इस दिन अन्न, दूध, फल, चावल, तिल और आवंले का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन ब्राह्मण, बहन और बुआ को अपनी श्रद्धा के अनुसार वस्त्र और दक्षिणा अवश्य दें। शाम के समय जल में थोड़ा कच्चा दूध, चावल और चीनी मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से आप पर चंद्रमा की सदैव कृपा बनी रहती है। लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए इस दिन मीठा दूध मिलाकर जल अवश्य चढ़ाएं, क्योंकि इस दिन पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास माना जाता है।
– घर के मुख्य द्वार पर आम का तोरण बांधे व रंगोली बनाएं
कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य द्वार पर आम का तोरण अवश्य बांधे और द्वार पर रंगोली भी अवश्य बनाएं, ऐसा करने से हर में सकारात्मकता बनी रहती है। इसके अलावा इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ एवं ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करना बहुत लाभकारी है।
– दीप जलाएं व दान करें
शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान को विशेष माना जाता है। इसलिए इस दिन किसी पवित्र नदी, तालाब,मंदिर एवं खुले आकाश के नीचे दीप अवश्य जलाएं। ऐसा करने से आपको पुण्य फलों की प्राप्ति होगी। मां लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए तुलसी पूजन कर तुलसी के पौधे के नीचे दीपक अवश्य जलाएं।
-कार्तिक पूर्णिमा पर क्या न करें-
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भूलकर भी तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, अंडा, प्याज, हसुन इनका प्रयोग न करें। चंद्रदेव की कृपा पाने के लिए इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। हो सके तो भूमि पर शयन करें। घर में किसी भी प्रकार का झगड़ा नहीं करना चाहिए।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गरीब, असहाय, बुजुर्ग या फिर किसी से कटु वचन नहीं बोलें और न ही किसी का अपमान करें, ऐसा करने से आपको दोष लगता है
– साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लेकिन सूतक मान्य नहीं
इस दिन साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में रहेगा। इस चंद्र ग्रहण को आंशिक चंद्र ग्रहण माना जा रहा है। इसमें सूतक काल मान्य नहीं होगा।