चंड़ीगढ़। सितंबर 2021 में पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद के इस्तीफे के साथ ही सुनील जाखड़ के इस्तीफे की पटकथा लिखनी शुरू हो गई थी। 42 विधायकों की रजामंदी के बाद भी मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से भी जाखड़ केंद्रीय नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। इसके बाद उन्होंने फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में सक्रिय राजनीति से दूर रहकर किनारा कर लिया था। पंजाब के राजनीतिक जानकारों के अनुसार सुनील जाखड़ के इस्तीफे की पटकथा तब शुरू हुई थी जब कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया था। फरवरी में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी। इसके साथ ही उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। केंद्रीय नेतृत्व के प्रति उनका यह गुस्सा तब निकला जब वह विधानसभा चुनाव में अपने भतीजे के लिए प्रचार कर रहे थे। उन्होंने इस दौरान यह दावा किया कि पिछले साल अमरिंदर सिंह के अचानक इस्तीफे के बाद 42 विधायक उन्हें पंजाब का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे इसके बाद भी वह कांग्रेस का हिस्सा बने रहेंगे, लेकिन उनकी टिप्पणी ने उनकी मुश्किलें जरूर बढ़ा दी थीं। इसके बाद उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ बयान देकर भी केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोला था, जिसके बाद उनके खिलाफ पार्टी आलाकमान की ओर से अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। इन सब मामलों को लेकर वह केंद्रीय नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। वह पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रभारी हरीश रावत और वर्तमान पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी के रवैये से भी नाखुश चल रहे थे।