– दुष्काल : व्यक्ति क्या करे, समाज क्या करे ?
कोरोना का दुष्काल कितना लम्बा चलेगा कोई नहीं बता सकता अभी तक इस बात की ठोस जानकारी तक सामने नहीं आई है कि इस वायरस के उद्गम का उद्देश्य क्या था ? परिस्थिति इस बात के पक्ष में ज्यादा दिखाई देती हैं कि यह आपदा प्राकृतिक नहीं है | २०१८ में चिकित्सा क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त जापान के डॉक्टर तोसुकु होंजो के अनुसार “कोरोना वायरस प्राकृतिक नहीं है यदि प्राकृतिक होता पूरी दुनिया में यह यूं तबाही नहीं मचाता | विश्व के हर देश में अलग अलग तापमान है, यदि यह कोरोना वायरस प्राकृतिक होता तो चीन जैसे अन्य देशो में जहां चीन से विपरीत तापमान है वहीं विनाश करता । यह स्विट्जरलैंड जैसे देश मैं फैल रहा है ठीक वैसा ही इसका असर रेगिस्तानी इलाकों में है, अगर यह प्राकृतिक होता तो ठंडे स्थानों पर फैलता, परंतु गर्म स्थानों पर जाकर यह दम तोड़ देता।“ उनकी बात का खंडन नहीं हुआ है, परंतु भारत के सन्दर्भ में आज ये विचार करना जरूरी हो गया है कि व्यक्ति क्या करे? समाज क्या क्या करे ?
व्यक्ति से समाज बनता है | आम नागरिक के रूप सरकार द्वारा प्रसारित कुछ सामान्य उपायों का पालन करना चाहिये जैसे दिनभर गर्म पानी पीये ,हर दिन में ३०मिनट योग अभ्यास, प्राणायाम, निर्देश के मुताबिक, भोजन पकाने के दौरान हल्दी, जीरा और धनिया जैसे मसालों का प्रयोग| शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को मजबूत बनाने के लिए भोजन फल औषिधि का प्रयोग | निर्देशिका में सब लिखा है| सबसे ज्यादा कारगर “फिजिकल डिस्टेनसिंग” जिसे “सोशल डिस्टेनसिंग” भी कहा गया है का हर व्यक्ति को पालन करना चाहिये | यह सब प्रतिरक्षा है |शरीर का तापमान इन्फ्रारेड थर्मामीटर से लेना भी “फिजिकल डिस्टेनसिंग” ही है | मेडिसिन विशेषग्य डॉ महेश उपाध्याय का कहना है कि पीसीआर [पॉलीमरेज चेन रिएक्शन] टेस्ट के बगैर कोरोना का निदान नहीं हो सकता | शरीर का तापमान तो अन्य किसी विकृति से भी बढ़ सकता है|
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक जिस व्यक्ति में कोरोना संक्रमण की आशंका होती है, उसके गले या नाक के अंदर से कॉटन के जरिए सैंपल लेकर उसकी जांच की जाती है। सैंपल गले या नाक से इसलिए लिया जाता है क्योंकि कोरोना का वायरस इन्हीं जगहों पर सबसे ज्यादा सक्रिय होता है। इसे स्वाब टेस्ट कह जाता है | २.नेजल एस्पिरेट- नाक में एक विशेष रसायन डालकर सैंपल एकत्र कर उसकी जांच की जाती है।३.ट्रेशल एस्पिरेट- ट्रेशल एस्पिरेट टेस्ट में व्यक्ति के फेफड़ों तक ब्रोंकोस्कोप नाम की एक पतली ट्यूब डाली जाती है। ट्यूब के जरिए सैंपल एकत्र कर उसमें संक्रमण की स्थिति का पता लगाया जाता है।४.सप्टम टेस्ट- फेफड़े या नाक से लिए गए सैंपल का टेस्ट सप्टम टेस्ट के रूप में जाना जाता है।५.ब्लड टेस्ट- संक्रमित व्यक्ति के रक्त की भी जांच की जाती है और उसमें ऑक्सीजन की मात्रा इत्यादि की चेकिंग की जाती है।