तथ्य सामने आये हैं किअनियोजित विकास के कारण पनपे अत्यधिक भीड़ भरे शहरों और झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों का हाल बुरा रहा है। यही कारण है कि स्लम बहुल क्षेत्रों में आज कोविड-१९ के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश का उच्च और मध्य वर्ग पक्के मकानों में रहता है और वहां फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कराना अपेक्षाकृत आसान है, जबकि देश की अधिकतर आबादी (यानी गरीब आबादी) शहरीकृत गांवों या शहरों की मलिन बस्तियों में छोटे-छोटे घरों में रहती है।
२०११ की जनगणना बताती है कि करीब १८ प्रतिशत तब खुले में शौच जाने को मजबूर थे , तब १५ प्रतिशत परिवार सार्वजनिक शौचालय इस्तेमाल करते हैं। जन संख्या वृद्धि के मान से यहाँ ये सुविधा और सिमटी होंगी | इस स्थिति में इन बस्तियों में भला किस तरह फिजिकल डिस्टेंसिंग संभव थी या है ? अब लॉकडाउन के तीसरे विस्तार की संभावना अधिक है, सरकारों की तरफ से कुछ अतिरिक्त प्रयास किए जाने की जरूरत है। संभव हो, तो मलिन बस्तियों के आधे परिवारों को नजदीकी स्कूल या कॉलेज में रखे जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। यहां उन्हें साफ-सफाई के प्रति जागरूक करना भी अपेक्षाकृत आसान होगा। फिर, इनके राशन-पानी की व्यवस्था भी की जानी चाहिए। सरकारी भंडार में खाद्यान्न की कोई कमी नहीं है। सरकार बेशक जरूरतमंदों तक इसे पहुंचाने की व्यवस्था कर रही है, पर वितरण-तंत्र की गड़बड़ियों के कारण कई जगहों से अव्यवस्था की खबरें भी आ रही हैं। जन-वितरण प्रणाली पर विशेष ध्यान देकर इन लोगों तक हर मुमकिन राहत पहुंचाई जा सकती है।
घर-घर जरूरी सामान उपलब्ध कराने का एक तंत्र भी फौरन बनाना होगा। यह विशेषकर हॉटस्पॉट इलाकों में इसलिए जरूरी है, ताकि लोग घरों से बाहर न निकलें। जिन कार्यालयों को काम करने की अनमुति मिल गई है, वहां कर्मचारियों की बीच पर्याप्त शारीरिक दूरी रखते हुए काम होना चाहिए। लोगों को भी यह समझना होगा कि संभावित लॉकडाउन-3 में यदि उन्हें कुछ राहत दी जाती है, तो फिजिकल डिस्टेंसिंग की कतई अनदेखी नहीं होना चाहिए ।
यह जंग बिना इन उपायों के नहीं जीती जा सकती। सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि अगर व्यापक तौर पर “फिजिकल डिस्टेंसिंग” का पालन हो रहा है, तो उन लोगों तक राशन-पानी पहुंचना चाहिए, जिनके लिए खुद बुनियादी जरूरतों को पूरा करना मुश्किल है। यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी गरीब भूख या मानसिक तनाव से दम न तोडे़। घनी बस्तियों में फिजिकल डिस्टेंसिंग को लेकर सरकार को अपनी नीति नए सिरे से गढ़नी चाहिए ।