-प्रतिदिन -राकेश दुबे

जिस सूचना क्रांति को हथियार बना कर देश –दुनिया का कुछ भला किया जा सकता है उसी का हथियार सोशल मीडिया, खासकर ट्विटर और फेसबुक कुत्सित मानसिकता वालों का अड्डा बनता जा रहा है। राजनीतिक बैर भुनाने के बाद अब यह महिलाओं का पीछा करनेवालों , असभ्य भाषा का इस्तेमाल करनेवालों का मंच होता जा रहा है । देश के प्रधानमंत्री और अन्य विभूतियों के बाद अब खिलाडी और उनके परिवारजन को भी ये निशाना बनाने लगे हैं ।
इसी माहौल को देखकर सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की है कि “हाल के दिनों में जिस चीज का सबसे ज्यादा दुरुपयोग हुआ है, वह है अभिव्यक्ति की आजादी” सोशल मीडिया पर आये दिन इसके उदाहरण देखने को मिल जाते हैं। अभी आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि स्थिति कितनी गंभीर होती जा रही है। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर ‘रेप कैसे करें’ जैसी पोस्ट वायरल हो गयी थी। पश्चिम बंगाल पुलिस ने इसकी जांच शुरू की है। पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में यह पोस्ट भारत के बाहर की लगती है और इसे कुछ लोकल सोशल मीडिया हैंडल्स ने शेयर किया है| महिला संगठनों ने इस पोस्ट का स्क्रीनशॉट्स शेयर कर पुलिस से कार्रवाई की मांग की है।

सबसे ज्यादा किस्से ट्रोलिंग के सुनने में आते हैं ट्रोलिंग करने के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
ट्रोलिंग मजे के लिए भी होती है और सुनियोजित भी ।मौजूदा समय में सभी बड़े राजनीतिक दलों के पास ट्रोलर्स की बड़ी फौज है।उनका काम है पार्टी के पक्ष में माहौल बनाना और इस बात का ध्यान रखना कि उनके खिलाफ सोशल मीडिया में कोई नकारात्मक राय न बन पाए| साथ ही पार्टी से जुड़े ये ट्रोल विरोधी दल की नकारात्मक छवि पेश करने की हर संभव कोशिश करने में भी जुटे रहते हैं।चुनावों और उपचुनावों में तो इनकी भूमिका और बढ़ जाती है। जैसी इन दिनों मध्यप्रदेश में दिख रही है ।
एक अन्य किस्म कॉरपोरेट ट्रोलिंग होती है जिसमें कारोबारी हिसाब किये जाते हैं।जैसे किसी प्रतिस्पर्धी कंपनी के बारे में बेबुनियाद बातें फैलायी जाती हैं और अपनी कंपनी के बारे में सुनहरी तस्वीर पेश की जाती हैं, ताकि निवेशकों का भरोसा बना रहे । कुछ लोग तो ऐसे हैं, जिनके पीछे ट्रोलर लगातार पड़े रहते हैं| उन पर असभ्य टिप्पणियां की जाती हैं।अक्सर ट्रोलर्स के तथ्य भी सही नहीं होते हैं| मिसाल के तौर पर धौनी ही मामला लें।इस मामले में तथ्य गलत हैं ।वैसे धौनी वह खिलाड़ी हैं, जिसे भारतीय क्रिकेट प्रशंसक कभी भुला नहीं सकते।धौनी ने क्रिकेट को हेलीकॉप्टर शॉट दिया और आज दुनिया के सभी दिग्गज खिलाड़ी उसे लगाने की कोशिश करते हैं।धोनी ने टीम का न केवल सफल नेतृत्व किया, बल्कि छोटी जगहों से आने वाले प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए टीम में आने का रास्ता भी खोला।ऐसे व्यक्ति को भी टोलर्स नहीं छोड़ रहे हैं. यह ट्विटर और फेसबुक आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे लोगों को चिह्नित करें और उसे इंटरनेट की दुनिया से बाहर करें, दंडित करें।

सूचना युग में ये जो हो रहा है इसे ऑनलाइन गुंडागर्दी कहा जा सकता हैं, जिसमे अदृश्य रह कर बदले भुनाए जा रहे हैं।सोशल मीडिया पर इस तरह के कई गैंग सक्रिय हैंऔर कानून के शिकंजे से बचे हुए हैं।सोशल मीडिया हमारी जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है, मगर ट्विटर और फेसबुक ऐसे घिनौने लोगों पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा है| भारत के आइटी एक्ट में ऐसे लोगों के लिए कड़े दंड का प्रावधान है, फिर भी ट्रॉलर्स छुट्टा घूम रहे हैं।यह भी एक चमत्कार है।