बाड़मेर । जैनाचार्य, जिनशासन शिरोमणि, तपचक्र चक्रवर्ती, अचलगच्छाधिपति परम पूज्य आचार्य भगवन्त गुरूदेव श्री गुणोदयसगार सूरिश्वर मसा का रविवार को तड़के 2 बजे रात्रि में गुजरात के कच्छ स्थित 72 जिनालय में समाधिपूर्वक देवलोक हो गया । जिससे पूरे भारत वर्ष के सकल जैन समाज में शोक की लहर फैल गई ।

अचलगच्छ जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के अध्यक्ष सम्पतराज वड़ेरा ने बताया कि जैनाचार्य अचलगच्छाधिपति परम उपकारी, तपनिष्ठ परम पूज्य आचार्य भगवन्त गुरूदेव श्री गुणोदयसगार सूरिश्वर मसा के देवलोक गमन से सकल जैन समाज को अपूरणीय क्षति हुई है । और उनके देवलोक गमन से समस्त गुरूभक्त शोकमग्न है । वहीं गुरूदेव की अन्तिम यात्रा रविवार को कच्छ के 72 जिनालय में सायं 4 बजे सम्पन्न हुई ।

अचलगच्छ जैन युवक परिषद के अध्यक्ष मुकेश बोहरा अमन ने बताया कि परम पूज्य आचार्य भगवन्त गुरूदेव श्री गुणोदयसगार सूरिश्वर मसा का 92 वर्ष की उम्र में देवलोक हो गया । वहीं गुरूदेव ने लगातार 54 वर्षीतप की आराधना की । जो अपने आप में ऐतिहासिक है । अमन ने बताया कि गुरूदेव की आत्मा को अरिहन्त शरण मिलें को लेकर सकल जैन समाज से निवेदन है कि वे 12-12 नवकार का जाप करें और उनकी आत्मा के मोक्षगामी बनने की आत्मिक प्रार्थना करें । गुरूदेव के अन्तिम दर्शन को लेकर बाड़मेर से भी कई गुरूभक्त 72 जिनालय पहुंचे । जहां उन्होंनें गुरूदेव की अन्तिम-यात्रा में भाग लिया ।

परम पूज्य आचार्य भगवन्त, तपस्वी रत्न, अचलगच्छाधिपति श्री गुरुदेव गुणोदयसागर सूरीश्वरजी महाराज साहेब का जन्म विक्रम संवत 1986 भादवा सुदी पूनम को कोटड़ा रोहा कच्छ गुजरात में हुआ । आप के पिता का नाम गणेश जी भाई और माता का नाम श्रीमती सुंदर बाई था । आपका संसारिक नाम गोविंद भाई रहा और आप की मूल गोत्र पासड थी । आपने प्राथमिक तक की शिक्षा प्राप्त की और जैन संघ में आपकी दीक्षा विक्रम संवत 2014 मिक्सर सूद 10 को मुंबई लालवाड़ी में संपन्न हुई और आपको दीक्षा नाम मुनि श्री गुणोदय सागर मिला, आप के दीक्षा गुरु आचार्य श्री गुणसागर जी महाराज रहे । आपकी बड़ी दीक्षा विक्रम संवत 2014 पौष बदी ग्यारस को मुंबई लालवाड़ी में ही संपन्न हुई । वहीं मुनि के बाद में आपको विक्रम संवत 2032 भुज गुजरात में उपाध्याय पद की पदवी प्राप्त हुई । सूरि पद की पदवी 2033 विक्रम संवत में वैशाख सूद 3 को मकड़ा गुजरात में आपको प्राप्त हुई । आपको गणनायक से विक्रम संवत 2050 में 72 जिनालय कच्छ में सुशोभित किया गया वहीं आपने अब तक 54 सलंग्न वर्षी तप संपन्न किए और आप द्वारा अब तक किए गए सलंग्न 54 वर्षीतप अपने आप में ऐतिहासिक है ।आपका बाड़मेर आगमन पिछले वर्ष 2019 में बाड़मेर की धरती के लाल बाड़मेर अचलगच्छ संघ के कोहिनूर मनोज श्रीश्री माल की भगवती दीक्षा के अवसर पर आप सकल संघ सहित बाड़मेर पधारे और पांच दिवसीय दीक्षा के भव्य कार्यक्रमों में आपका आशीर्वाद रहा और सभी कार्यक्रम एक से बढ़कर एक भव्य अति भव्य तरीके से संपन्न हुए । आपकी उपस्थिति मात्र ने ही पूरे शहर में भक्ति और धर्म का माहौल पैदा किया । आपका व्यवहार, सादगी और सरलता हम सबके मन और मस्तिष्क में हमेशा जिंदा रहेगी ।