बीकानेर, 20 फरवरी। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के क्षेत्रीय केन्द्र की ओर से बुधवार को विश्व विद्यालय के रानीसरबास स्थित सेवा केन्द्र में ध्वजा रोहण व प्रवचन के साथ त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव शुरू हुआ। महोत्सव के तहत गुरुवार को सुबह साढ़े आठ बजे क्षेत्रीय केन्द्र सार्दुल गंज में व शुक्रवार को ब्रह्माकुमारी आध्यामिक मैदान में ध्वजारोहण व प्रवचन होगा।
रानीसरबास के सेवा केन्द्र में क्षेत्रीय केन्द्र प्रभारी बी.के.कमल ने कहा कि संसार के सभी ईश्वर विश्वासी लोग मानते है कि भगवान कल्याणकारी है। भगवान को कल्याणकारी एवं हितैषी मानने के कारण ही उन्हें माता-पिता, बंधु, सखा आदि स्नेह सूचक एवं शुभ संबंधों से याद किया जाता है। सबका कल्याणकारी होने के कारण भगवान का कर्तव्य वाचक और संबंधवाचक स्व-कथित नाम ’’शिव’’ है। किसी का कल्याण करने के लिए उसे कर्म की गति का ज्ञान और उसके आगे कर्म का व्यवहारिक आदर्श उपस्थित करना तथा उसकी सहायता और मार्ग प्रदर्शन करना जरूरी है।
भगवान ने इस धरती पर आकर मनुष्य आत्माओं को सन्मार्ग दिखाया, उन्हें सुमति दी है, उन्हे ंसुधारा है और उनके विषय विकारों को हरा है। इसी कारण ही तो जा भी किसी का मन विषय विकारों से हटाये नहीं हटता तो वह प्रार्थना करता है ’’ हे प्रभो, मेरे विषय विकार मिटाओ, मेरे पाप हरो’’। भगवान शिव के अवतरण के उपलक्ष्य में हर वर्ष भारत में शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है क्योंकि जाने-अन्जाने में लोगों के मन में यह पूर्व स्मृति समाई हुई है कि पहले भी जब मानव जगत में अज्ञान रात्रि छाई हुई थी तो भगवान उनका कल्याण करने के लिए आएं थे।
उन्होंने कहा कि स्वयंभू, अजन्मा, निराकार परमपिता परमात्मा शिव का दिव्य जन्मोत्सव ही शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। आत्माओं का जन्म होता है और परमात्मा का अवतरण। आत्मा और परमात्मा में यही प्रमुख अंतर है। कर्म बंधन के कारण गर्भ से उत्पन्न होने पर आत्माएं जन्म मरण के चक्र में पड़ जाता है लेकिन परमात्मा आवागमन नहीं होता। परमात्मा शिव स्वयंभू है। सेवा केन्द्र की प्रभारी बी.के.मीना ने भी प्रवचन किए।