– बॉक्स पैकिंग को पसंद कर रहे ग्राहक -बाजार में नई वैरायटी आई
जोधपुर।दीपावली को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के व्यापारी भी खरीदारी को लेकर शहर पहुंच रहे हैं।
दीपावली फेस्टिवल को लेकर इन दिनों शहर के बाजार सज कर तैयार है। स्टील के बर्तनों से लेकर सोना चांदी के गहनों की दुकानों पर ग्राहकों की भारी भीड़ नजर आ रही है। इस बार होने वाले महालक्ष्मी पूजन को लेकर भी बाजार में तरह-तरह की सामग्री बिकने को आई है। बाजार में 100 रुपए से लेकर 550 तक के पूजन सामग्री बॉक्स बिक रहे हैं।
पूजन सामग्री के दाम पिछले साल के मुकाबले दस प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
पूजन सामग्री के दाम पिछले साल के मुकाबले दस प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के चलते इसका असर अब पूजन सामग्री के पैकेट पर हुआ है। पिछले साल के मुकाबले इस बार लक्ष्मी पूजन भी महंगा हो चला है। 10 से 20% तक लक्ष्मी पूजन सामग्री की कीमत बढ़ चुकी है। बाजार में मिलने वाले पूजन सामग्री पर 10 से 20% राशि अब ग्राहकों को अधिक चुकानी पड़ रही है।
बता दे की महालक्ष्मी पूजन में लगभग 60 तरह की वस्तुएं शामिल होती है। भीतरी शहर के दुकानदार रजनीश कोचर मेहता ने बताया कि इस बार दस प्रतिशत तक दामों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि इस बार पूजन सामग्री में सामान की संख्या में बढ़ोतरी की गई है। ग्राहकों को पूजन बॉक्स और थाल काफी पसंद आ रहे हैं। थाल 110 वहीं पूजन सामग्री की बॉक्स 350 और 550 रुपए में बिक रहे हैं।
पूजन सामग्री बॉक्स को इस बार काफी पसंद किया जा रहा है।
550 रुपए वाले पूजन सामग्री बॉक्स में लक्ष्मी पूजन फोटो, मोती माला, पीली सरसों, तिल, प्रसाद, कुमकुम, जनेऊ, चावल, मूंग, मोली, अगरबत्ती, लोंग, जौ, इलायची, पंचमेवा, मेहंदी, धनिया, हल्दी गांठिया, धुपबत्ती, अबील, मंगल कलश, श्रीयंत्र, सिंदूर , स्वास्तिक, पगलियां, मरोड़ा फली, बतीसा धुप, गुलाल, शहद, जंगाल, सफेद अबील, चना, माचिस, चंदन केशर, फुलिया, गंगाजल, कोडि भी शामिल है।
इसके अलावा बेबी केशर, इन, कपूर, लाल वस्त्र, गौमति चक्र, पूजा सुपारी, सफेद वस्त्र, कच्छवा थाली, कमल गट्टा, रुद्राक्ष, रुई बाट, आरति संग्रह, दीपक आदि शामिल हैं। महालक्ष्मी पूजन के समय शक्कर से बने खील, बताशे, मिश्री कपड़े आदि की खरीदारी की जाती है। इन्हें महालक्ष्मी पूजन के दौरान साथ में रखा जाता है। उसके बाद प्रसाद बांटा जाता है। हालांकि अब बदलते समय का प्रभाव इन पर भी पड़ा है। अब इन्हें लोग शगुन के तौर पर ही खरीदते हैं।