अशोक भाटिया

एक फिल्म कलाकार भी देश का स्वतंत्र नागरिक है
दीपिका जो अपनी फिल्म के प्रमोशन में गत दिनों काफी व्यस्त रही | वो जगह-जगह ईवेंट्स में जाती रही | एसिड अटैक सर्ववाइवर्स से भी मिलती रही हैं| सोशल एक्सपेरिमेंट भी कर रही हैं| ऐसे में उनका जेएनयू जाना भी एक सोशल एक्सपेरिमेंट की तरह ही लगा, जो काफी हद तक सफल भी रहा और असफल भी| जेएनयू कैंपस में बिताए वो 10 मिनट दीपिका को फिलहाल बहुत भारी पड़ रहे हैं|

दीपिका की फिल्म छपाक के रिलीज होने में अभी दो दिन भी नहीं बचे कि दीपिका की फिल्म का बहिष्कार करने की मांग उठने लगी| जैसे ही दीपिका को कन्हैया कुमार के पास खड़े देखा गया तभी से सोशल मीडिया पर बॉय काट छपाक ट्रेंड करने लगा. और बुधवार पूरे दिन लोग दीपिका को कोसते रहे |इस समय जेएनयू स्टूडेंट्स पर हिंसा और सीएए पर होने वाली राजनीति जोरों पर है. इस मुद्दे पर ध्रुवीकरण हो चुका है और अब दोनों ही पक्ष आमने सामने हैं, एक दूसरे को काट खाने को दौड़ रहे हैं | इस बेहद गंभीर मुद्दे पर लोग पक्ष और विपक्षी खेमे टटोल रहे हैं| सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटी को टैग कर के उन्हें जेएनयू और सीएए पर बोलने के लिए मजबूर कर रहे हैं. ‘अब तो बोलो’ ‘अब नहीं तो कब’ कहकर उन्हें ट्रोल किया जा रहा है| ऐसे में दीपिका पादुकोण ने जेएनयू जाकर अपना जवाब दे दिया है| अब इसे सरकार विरोधी कहा जाए, देशद्रोही कहा जाए, वो लोगों की अपनी समझ है|

लोग दीपिका की फिल्म छपाक का बायकॉट कर रहे हैं और दीपिका की फिल्म छपाक के साथ ही रिलीज होने वाली अजय देवगन की फिल्म तान्हा जी को प्रमोट कर रहे हैं | प्रमोशन इस हद तक है कि इसके तहत फिल्म तान्हा जी के फ्री टिकट लोगों को बांटे जा रहे हैं| ये सिर्फ इसलिए कि लोग छपाक नहीं, तान्हा जी देखें और दीपिका को नुकसान हो |अगर इस विरोध के चलते दीपिका की फिल्म को नुकसान होता है तो इस सोशल एक्सपेरिमेंट को दीपिका की असफलता ही कहा जाएगा| छपाक के बॉयकॉट की बात पर मोदी सरकार में मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने साफ कर दिया कि ‘हमारी पार्टी और सरकार सभी को अपनी बात कहने, किसी का पक्ष लेने की आजादी की पक्षधर है. दीपिका यदि जेएनयू गई हैं तो ये उनका अधिकार है | उधर बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रिया अभी दीपिका पादुकोण के स्‍टैंड को पक्षपातपूर्ण बता रहे हैं| उनका कहना है कि यदि दीपिका जेएनयू में हुई हिंसा से आहत हैं तो उन्‍हें लेफ्ट यूनियन से जुड़े छात्रों के पास जाने के अलावा उनएबीवीपी छात्रों से भी मिलना चाहिए था, जो जेएनयू की हिंसा में घायल हुए हैं|

खैर, इस वाद-विवाद के बीच दीपिका के लिए अच्‍छी खबर ये है कि उनकी फिल्म छपाक को मध्‍यप्रदेश में मनोरंजन कर से मुक्‍त करने का एलान खुद मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने किया है| 2005 में एसिड हमले का शिकार हुई लक्ष्‍मी अग्रवाल के जीवन पर बनी यह फिल्म समाज को एसिड अटैक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर जागरुक करने का काम करेगी| उम्‍मीद है कि यह फिल्‍म दीपिका पादुकोण के जेएनयू में फैले विवाद से अछूती रहे|