-प्रकृति पोषक विश्व का निर्माण ही हमारा ध्येय है- डॉ इंद्रा बिश्नोई
बीकानेर।दुबई मे आगामी 4-5 फरवरी को होने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन के संदर्भ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर की अध्यक्षा डॉ इंद्रा बिश्नोई ने बताया कि आज विश्व के सामने अनेक ज्वलंत समस्याएं मुँह बाए खड़ी है जिसमें पर्यावरण प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या है। यह जितनी बड़ी समस्या है अफसोस है कि इसके लिए प्रयास उतने ही कम हुए हैं और लगता है कि विश्व इसके प्रति संवेदनशील और गंभीर नहीं है। विकास के नाम पर आए दिन पर्यावरण की बलि दी जाती है। प्रकृति के विनाश के बदले किया गया विकास हमारे क्या काम आएगा जब इस अतिक्रमण से आहत प्रकृति क्रुद्ध हो जाएगी और इस धरती पर संपूर्ण जीव प्रजातियां के साथ साथ मनुष्य जीवन का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। आश्चर्य है कि सन् 1970 से पहले विश्व ने पर्यावरण प्रदूषण को खतरा ही नहीं माना था,शुक्र है कि इसके बाद कुछ प्रयास इस दिशा में शुरू हुए परन्तु वे पर्याप्त नहीं है। बिश्नोई समाज विश्व भर में धरती पर एक मात्र ऐसा समाज है जो पिछले पांच सौ सालों से पर्यावरण प्रदूषण को लेकर चिंतित है और इसके समाधान के लिए गंभीर प्रयास भी कर रहा है। इसका साक्ष्य यही है कि इन पांच सौ सालों में इस समाज के हजारों लोगों ने वृक्षों और वन्य जीवन को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया है। अब समाज का यह उद्देश्य है की यह पर्यावरण संरक्षण का संदेश भारत से बाहर भी जाए और इसके दुबई को चुना गया है, दुबई में आज समग्र विश्व का दर्शन होता है। ‘वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियाँ और बिश्नोई समाज के सिद्धांतों में समाधान’ विषय पर 4-5 फरवरी को दुबई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन में धरती के पर्यावरण को बचाने को लेकर चर्चा की जाएगी ।प्रकृति के साथ साहचर्य- यह बिश्नोई जीवनशैली का आधार है। वृक्षों की अधिकता बिश्नोई गांवों और खेतों की पहचान है,वन्य जीव बिश्नोईयों के साथ एक परिवार के सदस्य की तरह रहते हैं।हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, स्वतंत्रता आंदोलन के नायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अहिंसा का आदर्श आज सारा विश्व मान रहा है,बापू अपने प्रिय भजन में गाते थे – ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये,जे पीड परायी जाणे रे।पर दुःखे उपकार करे तो ये,मन अभिमान न आणे रे।-अर्थात उन लोगों को वैष्णव कहो,जो दूसरों की पीड़ा अनुभव करें।जो दुःखी हैं उनकी सहायता करें,लेकिन अपने मन में कभी भी अहंकार न आने दें। बिश्नोई ही बापू के वास्तविक वैष्णव है। एक प्रकार से कहें तो इस आजादी के अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर गुरु जम्भेश्वरजी के बिश्नोई और बापू के वैष्णव दुबई में एक सुंदर,सुखद, शान्त,सहज, अहिंसक, पर्यावरण प्रेमी विश्व के निर्माण के लिए चिंतन करेंगे। दो दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में वरिष्ठ पर्यावरणविद् अपने शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे।शारजाह यूनिवर्सिटी कैंपस,स्काईलाइन यूनिवर्सिटी कॉलेज में विक्टोरिया स्पोर्ट्स अकेडमी के खेल मैदान में खेजड़ली बलिदान के शहीदों को समर्पित 363 खेजड़ी के वृक्ष लगाए जाएंगे।जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर, अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा मुकाम और जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर की गुरु जम्भेश्वर पर्यावरण संरक्षण शोधपीठ के तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन में भारत से पांच सौ पर्यावरण प्रेमी भाग लेने के लिए जा रहे हैं। बिश्नोई महासभा के संरक्षक पूर्व सांसद बिश्नोई रत्न श्री कुलदीप बिश्नोई, महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री देवेन्द्र बुड़िया, श्री फारूक अब्दुल्ला, श्री पी. पी. चौधरी, सरदार राणा सोढ़ी सहित समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति इस सम्मेलन में शिरकत करेंगे।
सम्मेलन मे कुल 509 पंजीयन हुए हैं जिसमें बहरीन, यु ए ई, वेस्ट इंडीज सहित देश विदेश से बड़ी संख्या मे पर्यावरण विद शरीक हो रहे हैं
पत्रकार वार्ता मे उपचार्य डॉ. इन्दर सिंह राजपुरोहित, श्री देवेंद्र बिश्नोई, डॉ. बी. एल.बिश्नोई, श्री राजाराम धारनिया, डॉ. अनिला पुरोहित, डॉ. राजेंद्र पुरोहित एवम श्री लालचंद बिश्नोई उपस्थित रहे