प्रतिदिन -राकेश दुबे
कोविड -१९ की वेक्सीन के बारे में अभी कोई साफ़ निर्णय नहीं हुआ है। देश में एक अजीब वातावरण बनना शुरू हो गया है।शंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं हमारा देश उस अंतरराष्ट्रीय चालबाजी के जाल में तो नहीं फंस रहा, जिसमें ऐसा वैक्सीन हमारे हाथ लगे, जो न तो सुरक्षित हो और न ही प्रभावी? सरकार साफ़ नीति और नजरिये की दरकार है ।एक समाचार पत्र से बात करते हुए एम्स दिल्ली के निदेशक ने अपना आकलन व्यक्त किया है कि हमारी आबादी प्राकृतिक रूप से इस महामारी से प्रतिरक्षा हासिल कर सकती है। संभव है, वैक्सीन आने से पहले ऐसा हो जाए। जाहिर है, कोविड-१९ से बचने के लिए किसी टीका के प्रभावी होने से पूर्व दुनिया को लंबा रास्ता तय करना है। वैक्सीन के प्रदर्शन और उसकी क्षमता का सही-सही आकलन होना अभी शेष है।ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि भारत ने टीकाकरण के लिए सात अरब डॉलर खर्च करने की योजना बनाई है।
अब बात ‘हर्ड इम्यूनिटी’ की, दरअसल वो ऐसी स्थिति है, जिसमें कोई बीमार इंसान एक से भी कम व्यक्ति को संक्रमित करे, यानी तकनीकी भाषा में कहें, तो ‘आर वैल्यू’ घटकर एक से कम हो जाए। कोरोना को लेकर यह परिस्थिति तब बनेगी, जब ५० प्रतिशत आबादी इस वायरस से संक्रमित हो जाए। इस रणनीति के अपने खतरे हैं और इससे रोगियों की संख्या व मृत्यु दर के बढ़ने का जोखिम है। इतना ही नहीं, इससे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर भी अस्वीकार्य बोझ भी बढे़गा। फिर, यह कोई ऐसा संक्रमण नहीं है, जो हमें सिर्फ तात्कालिक नुकसान पहुंचाए। इस वायरस पर जीत पा चुके कुछ मरीज महीनों बाद लंग फाइब्रोसिस, मानसिक रोग, हृदय संबंधी बीमारी, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द जैसी कई अन्य बीमारियों के साथ अस्पताल लौटे हैं। ऐसे में, हर्ड इम्यूनिटी का जोखिम शायद ही कोई उठाना चाहेगा।
अध्ययन कहता है संक्रमण के कुछ महीनों बाद बेशक एंटीबॉडी कम होने लगे, लेकिन बी कोशिका हमेशा तैयार रहती है। कुछ अध्ययनों में कोरोना से ठीक होने वाले चंद मरीजों में एंटीबॉडी की कमी देखी गई है। मगर इम्यूनोलॉजिस्ट बताते हैं कि टी-कोशिका स्वतंत्र रूप से एंटीबॉडी बना सकती है। इससे हमें कुछ उम्मीद मिलती है, क्योंकि टी कोशिका वायरस के खिलाफ तेज प्रतिक्रिया करती है और संक्रमित कोशिकाओं को खत्म करती है। इतना ही नहीं, यह अपने पीछे मेमोरी-टाइप कोशिकाएं भी तैयार करती हैं। चूंकि हममें से कुछ लोगों के शरीर में पहले से ही सामान्य सर्दी वाले पूर्व के कोरोना-संक्रमण की टी-कोशिका मौजूद है, इसलिए कोविड-१९ का उन्हें हल्का संक्रमण हुआ।