_पुरानी जेलरोड से स्वागत रैली, स्वागत समारोह, तेरापंथ भवन, पार्षद  सम्मेलन के बाद पारिवारिक सेवाएं दी तथा रात्रि में दिशा बोध कार्यक्रम हुआ

 


_कर्म के अनुसार आदमी को फल भोगना पड़ता है- आचार्य श्री
 _लाल कोठी से तेरापंथ भवन पधारे गुरुदेव, स्वागत में उमड़ा जनसमूह
बीकानेर (ओम दैया) ।तेरापंथ धर्मसंघ के ग्याहरवें अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण ने दो दिन बीकानेर प्रवास के बाद मंगलवार 14 जून को उपनगर  गंगाशहर में  शोभायात्रा के साथ मंगल प्रवेश किया। जहां, श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ, गंगाशहर एवं सकल जैन समाज सहित 36 कौम के लोगों ने  आचार्य श्री का स्वागत व अभिनंदन किया। तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल, किशोर मंडल, युवा परिषद् सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने आचार्य श्री के आगमन पर मार्ग में पलक-पावड़े बिछा दिए। तेरापंथ के लाल ने घणी-घणी खम्मा, जय-जय ज्योति चरण, जय-जय महाश्रमण के जयकारों से उपनगर गुंजायमान कर दिया। जगह-जगह स्वागत द्वार लगाए गए, जहां श्रावकों के लिए ठण्डे पानी, शर्बत और पेय पदार्थों की सेवाएं दी गई। इस अवसर पर तेरापंथ भवन, गंगाशहर में वृहद मंगल पाठ, गुरुवंदना व प्रतिक्रमण एवं अर्हत वन्दना कार्यक्रम सहित उनके सम्मान में अनेक कार्यक्रम आयोजित हुए। इस मौके पर आचार्य श्री महाश्रमण ने उपस्थित जनसमूह को अपने प्रवचन में कहा कि वे जो भी कार्य करें, ईमानदारी से करें, जो व्यक्ति ईमानदारी रखता है, उसके पास और कुछ हो ना हो लेकिन सुख बहुत रहता है। इसके लिए आचार्य श्री ने आत्मा को मित्र बनाने की बात कही और श्लोक  ‘तुरिसा तुमहेव तुमम मित्तम, किम बंध्या मित्त मित्थसी’ के माध्यम से बताया कि शास्त्र में कहा गया है ।  तुम ही तुम्हारे मित्र हो, बाहर के मित्र की क्या इच्छा कर रहे हो, यानि और कोई आदमी तुम्हारा मित्र नहीं है। तुम्हारा सच्चा मित्र तुम्हारी आत्मा है। ‘अप्पा मित्त नमित्तम चय, दुपठिय, सुपठिय’ आत्मा मित्र है और आत्मा ही अमित्र है, शत्रु है। दुष्ट वृति में लगी आत्मा अमित्र होती है। इसे सत्कर्म में लगाओगे तो यह अच्छा मित्र बन जाती है इसे मय की दृष्टि से सापेक्षता के आधार पर समझा जा सकता है।

_महापौर ने सौंपी नगर की चाबी
 आचार्य श्री महाश्रमण के आगमन पर तेरापंथ सभा गंगाशहर की ओर से आयोजित कार्यक्रम में महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने निगम पार्षदों के साथ पहुंचकर आचार्य श्री से आशीर्वाद लिया एवं उन्हें ताले रूपी नगर के भाग्य खोलने के लिए प्रतिकात्मक रूप से चांदी की चाबी सौंपी। इस पर आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि किसी घर की चाबी किसी को सौंप देना बहुत बड़ी बात होती है। नगर निगम बीकानेर का कार्य आप लोग अच्छे से कर रहे हैं, यह चाबी आप अपने पास रखें और अच्छा कार्य करते रहें, आचार्य श्री ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि आप नगर के गणमान्यजन हैं। आप शहर को नशा मुक्त करने, स्वच्छ रखने का कार्य ईमानदारी से करें। महापौर सुशीलाकंवर राजपुरोहित ने आचार्य श्री से उनके बताए मार्ग का अनुसरण करने की बात कही। इस अवसर पर आचार्य श्री के साथ निगम के पार्षदगणों ने संवाद भी किया। संवाद करने वालों में महापौर सुशीलाकंवर राजपुरोहित के साथ पूर्व महापौर नारायण चौपड़ा, पार्षद भंवर साहू, रामदयाल पंचारिया, शिव पडि़हार, अशोक कुमार माली, माणक लाल, हसनअली टाक, अरविन्द किशोर आचार्य, फारुक चौहान, अनामिका शर्मा, सुधा आचार्य, प्रतीक स्वामी, नन्दकिशोर गहलोत, मंजूदेवी सोनी, सुमन छाजेड़, पुनित शर्मा एवं कविता सहित शहर भाजपा के महामंत्री मोहन सुराणा पूर्व अध्यक्ष सत्यप्रकाश आचार्य, अरुण जैन शामिल थे।
स्वागत अभिनन्दन समारोह में मांगा चातर्मास
जैन महासभा के अध्यक्ष जैन लूनकरण छाजेड़ ने बताया कि साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा ने तेरापंथ धर्मसंघ के विस्तार में गंगाशहर के योगदान के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देकर आचार्य श्री को अवगत कराया। साथ ही आवश्यकता जताई की गंगाशहर में आपके सानिध्य में एक चातर्मास की महत्ती आवश्यकता है। यह तेरापंथ  संघ की दृष्टि से समृद्ध है, और वर्तमान में इसकी आवश्यकता भी है। इस पर वहां उपस्थित विशाल जन समूह ने खड़े होकर दोनों हाथ उठाकर ‘ऊं अर्हम’ का बहुमान कर समर्थन किया।
 इससे पूर्व आचार्य श्री महाश्रमण के स्वागत में वयोवृद्ध शांति मुनि जी ने कहा कि ‘आज हमारे सामने ऐसे लग रहा है जैसे सोने का सूरज उग गया है’ आपकी कृपा दृष्टि और आपके दिए मंत्र से अनव्रत साधना कर रहे हैं। बस एक अवसर चातर्मास का प्रदान कर दें, वजह यह कि पच्चीस साल हो रहे हैं, गंगाशहर की पावन धरा पर अब तक चातर्मास नहींं हुआ है। सेवा केन्द्र प्रमुखा  कीर्ती लता ने गुरु की महिमा के बारे में बताते हुए चातृमास की कामना की, मुनि प्रमोद कुमार, विमल कुमार मुनि  सहित श्री श्रेयांष कुमार ने स्वागत गीत जैन जगत के महाश्रमण, अभिनन्दन, महासूर्य अभिनन्दन प्रस्तुत किया।
श्री जैन तेरापंथी सभा, गंगाशहर के अध्यक्ष अमरचंद सोनी ने सभा की ओर से स्वागत अभिनंदन किया। साथ ही सकल जैन समाज की ओर से चातर्मास का आने वाले समय में कार्यक्रम गंगाशहर में रखने का आग्रह किया। कमोबेश यही मांग श्रावक सुर्यप्रकाश सामसुखा ,अणुव्रत समिति के राजेन्द्र बोथरा, पार्षद सुमन छाजेड़, तेरापंथ न्यास के मंत्री कन्हैयालाल फलोदिया, रतनलाल छल्लाणी, मिलाप चौपड़ा ने भी अपने उद्बोधन में संघ की ओर से किए जा रहे कार्यों से आचार्य श्री को अवगत कराया।
तेरापंथ महिला मंडल एवं युवक मण्डल ने अलग-अलग गीतों की प्रस्तुती देकर आचार्य श्री का स्वागत अभिनंदन किया। मंच संचालन दिनेश मुनि ने किया।
आचार्य श्री ने दी पारिवारिक सेवा
उपनगर गंगाशहर सहित आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले जैन समाज के श्रावक-श्राविकाओं को आचार्य श्री महाश्रमण के मंगलपाठ सुनने और दर्शनलाभ की कामना को ध्यान में रखकर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा की ओर से तेरापंथ भवन में पारिवारिक सेवा का कार्यक्रम रखा गया, जहां क्षेत्र वार पहुंचे श्रावकों को आचार्य श्री ने आशीर्वाद दिया।
अहिंसा मार्ग का हुआ लोकार्पण
आचार्य श्री महाश्रमण के गंगाशहर पधारने पर नगर निगम की ओर से पूर्व में घोषित किए गए अहिंसा मार्ग का लोकार्पण आचार्य श्री द्वारा किया गया। जैन महासभा के लूनकरण छाजेड़ ने बताया कि चौपड़ा स्कूल से लेकर भीनासर के बांठिया स्कूल तक यह मार्ग निगम ने अहिंसा मार्ग की अधिकारिक घोषणा की हुई है। आचार्य श्री के शुभागमन पर मार्ग का लोकार्पण किया गया है। वहीं ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा मार्ग में गंगाशहर के तेरापंथ इतिहास को दर्शाती झांकियां सजाई गई।


जन सैलाब को देख की लाइव टैलिकास्ट की व्यवस्था
आचार्य श्री महाश्रमण के गंगाशहर आगमन और उनके दर्शनार्थ उमड़े जनसमूह को देखते हुए तेरापंथ भवन गंगाशहर छोटा प्रतीत हो रहा था। ऐसे में जैन महासभा के लूनकनण छाजेड़ ने सभा को संबोधित कर बताया कि भवन में स्थान ना मिलने पर विधानिकेतन स्कूल के सभागार एवं शांति निकेतन में भी आचार्यश्री के प्रवचन का लाइव टेलिकास्ट किया जा रहा है। अगर किसी को असुविधा हो रही हो तो वे वहां पर भी आराम से प्रवचन सुन सकते हैं। भीड़ का आलम यह था कि तेरापंथ भवन सहित विधानिकेतन का सभागार और शांति निकेतन भी पूरी तरह से खचाखच भर गया था। हर कोई आचार्य श्री के अमृतवाणी का लाभ लेने को लालायित नजर आ रहा था।