(गोविन्द गोयल)

श्रीगंगानगर। नगर परिषद का सभापति कौन होगा, ये 26 नवंबर को पता चलेगा। लेकिन शहर के किसी मोहल्ले, गली और नुक्कड़ पर खड़े हो जाओ, चर्चा यही है कि बोर्ड मोटा भाई का बनेगा। अर्थात पार्षदों मेँ कितने किस पार्टी के होंगे, निश्चित तौर पर इस बारे मेँ कोई कुछ नहीं कह सकता, परंतु ये सब कहते हैं कि बोर्ड तो मोटा भाई का ही बनेगा। इसके पक्ष वाले व्यक्ति सवाल के माध्यम से तर्क भी देते हैं।

सवाल ये कि और है कौन? इस सवाल के सारे जवाब मोटा भाई मेँ सिमट कर रह जाते हैं। क्योंकि आज के दिन वही है जो परिषद मेँ अपना बोर्ड बनाने मेँ हर प्रकार से सक्षम है। मोटा भाई गली गली और घर घर पार्षद बनने के लिये नहीं जा रहे। लक्ष्य तो सभापति का पद है।
वार्ड 39 पर निगाहें-राजनीति मेँ रुचि रखने वाले सभी लोगों के साथ साथ आम आदमी की नजर भी वार्ड 39 पर टिकी है। यही वह वार्ड है जो नगर परिषद की राजनीति की दिशा तय करेगा। आज के दिन किसी को भी उस महिला उम्मीदवार की जीत पर कोई संदेह नहीं है, जो सभापति की सबसे मजबूत दावेदार है। त्रिकोणीय मुक़ाबले मेँ बाकी दो उम्मीदवार किस स्थान पर रहेंगे, नजर इस बात पर है। कोई बीजेपी उम्मीदवार को दूसरे नंबर पर रहने की संभावना व्यक्त कर रहा है तो कोई बीजेपी के बागी का नंबर दूसरा मान रहा है। पहले नंबर पर किसी को कोई शंका नहीं है। ये बात भी सब मानते हैं कि सभापति की दावेदार वार्ड मेँ अपने लक्ष्य से पिछड़ गई तो फिर परिवार के राजनीतिक करियर पर ब्रेक लग सकता है।
सभापति पद के बाकी दावेदार-वार्ड 39 के अतिरिक्त कई और वार्ड हैं, जहां ऐसी महिला उम्मीदवार मैदान मेँ हैं, जिनको सभापति की दावेदार माना जाता है। उनमें से अधिकतर मुश्किल मुक़ाबले मेँ हैं। बीजेपी की डाक्टरनी प्रत्याशी की जीत आसान है। कांग्रेस पार्टी की एक पुरानी पार्षद जरूर जीत की हैट्रिक लगाने की ओर बढ़ रही हैं।

बाकी सभी निर्दलियों के साथ कड़े मुक़ाबले मेँ उलझी हैं। एक कांग्रेस के साथ मुक़ाबला कर रही है। आज के दिन उनकी जीत की संभावना कम है। 24 घंटे मेँ मतदाताओं का मानस बदल जाये तो परिणाम भी बदल सकते हैं।
सड़कों की मरम्मत-चुनाव प्रक्रिया के दौरान सड़कों की मरम्मत का काम हो रहा है। समझदार उम्मीदवार इसका श्रेय लेने से नहीं चूक रहे। लेकिन एक वार्ड मेँ विरोधियों ने इस मरम्मत को रुकवा दिया। एच ब्लॉक और नेहरू पार्क के इस वार्ड के पार्षद का सभापति से छत्तीस का आंकड़ा रहा। वे कोई काम नहीं करवा पाये। अब जब सड़कों की मरम्मत का काम हो रहा था, तो उनके वार्ड मेँ भी होने लगा। दूसरों ने रुकवा दिया। वैसे ये किसी को समझ नहीं आ रहा कि अब चुनाव मेँ ये सब काम क्यों हो रहा है। इसका राजनीतिक लाभ किसे मिलेगा!

नए चेहरे नजर आयेंगे-शहर के 65 वार्डों मेँ यूं तो अनेक पुराने पार्षद या उनके परिवार का कोई मेम्बर मैदान मेँ है। परंतु अभी तक जो सूचनाएं मिल रही हैं या जो चर्चा है, उससे ऐसा लगता है कि नगर परिषद मेँ आधे से अधिक पार्षद नये होंगे। कुछ तीसरी या चौथी बार चुन कर आ सकते हैं। कई बड़े चेहरों को जनता घर बैठा सकती है। उम्मीद यही है कि इस बार का बोर्ड नई आशा लेकर आयेगा। [