पूरे विश्व में नियम इसलिए बनते हैं कि सब काम इमानदारी से और कमिटमेंट के साथ हो। पर नियम बनाने वाले कभी कभी इतने जटिल नियम बना देते हैं कि उसकी आड़ में भ्रष्टाचार खूब पनप जाता है। नियम बनाने से पहले बहुत सोच समझकर, संयम और दूर दृष्टि को ध्यान मे रखना चाहिए। परन्तु आजकल एकदुक्का मंत्री या अधिकारी द्वारा गलत नियम बनाने से भ्रष्टाचार बहुत बढ़ जाता है। ईमानदारी से काम करना इतना कठिन होता है कि जैसे लकड़ी के हथौड़े से पत्थर फोडना। नियमों में निरंतर परिवर्तन से भ्रष्टाचार बढ़ जाता है। हमारे देश में कई नियमों से हम बहुत मुश्किल है मैं पड़ जाते हैं जैसे पहले कार की कांच पर फिल्म चढ़ाने पर जाने कितने लोगों को परेशानी हुई। जिला प्रशासन द्वारा कॉलोनी प्रॉपर्टी बनाने हेतु अनुमति, जमीन के मसले और भू अधिकार के कई प्रावधान (जिससे कई बार जमीन की रजिस्ट्री की कोई वैल्यू नहीं रहती) रेत खनन, बोरिंग , मकानों के नक्शे, शादी प्रमाण पत्र के नियमों की आड़ में भ्रष्ट अधिकारी नियमों की उलझन बता कर बिना रिश्वत लिए काम नहीं करता है। हमारे यहां भ्रष्टाचारी की शिकायत करने के लिए भी बहुत मेहनत करना पड़ती है। बड़े अधिकारी कहते हैं कोई हमारे से शिकायत करें अरे आप बड़े अधिकारी से मिलना ही कितना कठिन है। आपको शहर में कहां गड़बड़ी हो रही है वह माहिती है लेकिन आपके अधीनस्थ भ्रष्ट कर्मचारियों की आपको कोई माहिती नहीं।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)

