अब तो बहुत स्पष्ट हो गया है कि अगले आम चुनाव में भाजपा नेतृत्त्व वाले एनडीए गठबंधन को विपक्षी दलों के नये महागठबंधन इंडिया से सीधा मुकाबला करना पड़ेगा। दोनों के साथियों की तस्वीर भी 18 जुलाई को साफ हो गई। ये भी स्पष्ट हो गया कि बसपा, उड़ीसा में बीजेडी, आंध्रा में जगन रेड्डी, तेलंगाना में चंदशेखर किसी तरफ नहीं है, वे अपने बूते पर चुनाव लड़ेंगे। एनडीए बनाम इंडिया का बाकी जगह पर रोचक मुकाबला होगा, जिसको लेकर अभी से राजनीतिक माहौल गर्म होने लग गया है। रणनीति बनने लगी है।
इंडिया का टारगेट वे 328 सीटें है जहां पिछली बार सीधा मुकाबला नही था, विपक्ष का वोट बंट गया था और भाजपा ने 165 सीट जीत ली थी। इसमें शेष रही सीटों पर भाजपा व कांग्रेस 3 या 4 नम्बर पर थी। इसलिए इन 328 सीटों पर विपक्ष वोट बंटने देना नहीं चाहता और भाजपा को घेरना चाहता है।
ये सीटें है बिहार, यूपी, महाराष्ट्र, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान आदि। यहां मत विभाजन का फायदा सर्वाधिक भाजपा को मिला और उसके सहयोगियों को भी लाभ हुआ।
विपक्षी दलों का अगली महाराष्ट्र बैठक तक बसपा, जगन रेड्डी को भी साथ लाने का प्रयास है। कांग्रेस ने भी अपने खड़े रुख को छोड़ा है। जिससे बात बन भी सकती है। कांग्रेस ने सिद्धांततः ये स्वीकार लिया है कि जिस राज्य में जो क्षेत्रीय दल मजबूत है, उसकी ज्यादा हिस्सेदारी होगी। सोनिया गांधी के सक्रिय होने से कांग्रेस का रुख नरम हुआ है क्योंकि यूपीए के गठन में भी इन्ही की मुख्य भूमिका रही थी। अब यूपीए खत्म हो गया है और इंडिया बन गया है। विपक्षी दल भी अपने गठबंधन से राष्ट्रवाद का संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं। महाराष्ट्र की इंडिया की अगली बैठक में अध्यक्ष व संयोजक का चयन हो सकता है। अध्यक्ष के लिए सोनिया का नाम तय माना जा रहा है या कोई बदलाव होता है तो खड़गे अध्यक्ष बनेंगे। क्योंकि इंडिया में सबसे बड़ा दल कांग्रेस ही है। इंडिया के संयोजक पद के लिए नीतीश कुमार का नाम लगभग तय माना जा रहा है, क्योंकि उन्होंने ही अच्छे संबंधों के कारण सबको साथ लाने का काम किया है। वे सहज स्वीकार्य भी है। पीएम पद के लिए इंडिया अभी कोई नाम तय नहीं करेगा।
एनडीए ने भी कल बैठक की। ओम राजभर, चिराग पासवान, जीतनराम मांझी आदि भी शामिल हुए। एनडीए में अब विपक्ष को एक होता देख भाजपा ने भी सहयोगियों को तरजीह देनी आरम्भ की है। मगर अकाली दल अब भी अपने को अलग रखे हुए है। कुल मिलाकर 2024 के लिए अब बाजी बिछ गई है, मोहरे रखने तय हो रहे हैं। ये काम होते ही राजनीति की चालें चलनी शुरू हो जायेगी। इस बार आम चुनाव रोचक होंगे, ये तो तय है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार