

भाजपा ने अपनी राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा का कार्यकाल एक साल बढ़ाने का निर्णय कर उनको बदले जाने के कयासों पर विराम लगा दिया है। नड्डा का कार्यकाल 20 जनवरी को समाप्त होने वाला था। अगले साल होने वाले आम चुनाव तक अध्यक्ष न बदलने का निर्णय कर भाजपा ने संकेत दे दिया है कि वो इस साल के राज्यों में होने वाले चुनावों में भी बड़े फेरबदल नहीं करेगी। केवल जिला स्तर पर व प्रदेश पदाधिकारियों को ही बदला जायेगा।
चुनावों से पहले बड़े फेरबदल करने से असंतोष उभर सकता है जिसका नुकसान भाजपा हाल ही में हिमाचल प्रदेश में उठा चुकी है। वहां हुई हार की मूल वजह बागी ही रहे थे। राजस्थान में भी भाजपा संगठन में व्यापक फेरबदल के कयास लगाये जा रहे थे, मगर नड्डा का कार्यकाल बढ़ा देने से यहां भी बड़े बदलाव की संभावनाएं क्षीण हो गई है। छोटे मोटे बदलाव ही अब किये जायेंगे।
राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा सहित 10 राज्यों के चुनाव इस साल होने हैं, इन सब राज्यों में भी जो बदलाव की संभावना थी उसे भाजपा आलाकमान ने खत्म कर दिया है। क्योंकि उसका असर न केवल राज्यों में पड़ेगा अपितु आम चुनाव में भी परेशानी होगी।
राजस्थान भाजपा में गुटबंदी चिंता पहले से ही बनी हुई है, उसमें भी बदलाव होता तो नेताओं के बीच खाई चौड़ी होती। उससे डर के कारण भाजपा ने कदम पीछे खिंचे है। सूत्रों की माने तो गुटबंदी को अलग तरीके से हैंडल किया जायेगा। इससे ये भी स्पष्ट है वसुंधरा राजे सहित सभी नेताओं से तालमेल किया जायेगा।
राजस्थान कांग्रेस में अब भी सब ठीक नहीं। सचिन पायलट अब सीधे जनता में उतर गये हैं और सीएम, सरकार पर तीखे हमले कर रहे हैं। पेपर लीक प्रकरण को सचिन ने बड़ा मुद्दा बना दिया है और सीएम को घेरे में लिया है। सार्वजनिक रूप से अपनी ही सरकार पर मंत्रियों के प्रहार से कांग्रेस को लेकर जनता में अलग तरह का परसेप्शन बनने लगा है और फायदा भाजपा उठाना चाहती है। इसी कारण वो अपने संगठन में बदलाव करने से बच रही है।
मगर राजनीति के जानकारों का मानना है कि अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव चोंकाने वाला होगा। उसका आधार राज्यों के चुनाव व अगले आम चुनाव ही होंगे। लोकसभा के सत्र से पहले मंत्रिमंडल में परिवर्तन तय माना जा रहा है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार