इस साल राजस्थान, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, त्रिपुरा सहित होने वाले 10 राज्यों के चुनाव व अगले साल होने वाले आम चुनाव को लेकर भाजपा एक्शन मूड में है। सरकार व संगठन में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं, ये बदलाव इस माह में होने निश्चित है।
चुनाव के लिए हर समय तैयार रहने वाली भाजपा को बदली राजनीतिक परिस्थितियों में अपनी बनाई पहले की रणनीति में भी बदलाव करना पड़ रहा है। केंद्र की मोदी सरकार के इस कार्यकाल का अंतिम मंत्रिमंडल विस्तार व बदलाव इस महीने होना तय माना जा रहा है। मंत्रिमंडल के कुछ मंत्रियों को संगठन में ट्रांसफर किया जायेगा तो वहीं उन राज्यों से नये मंत्री बनाये जायेंगे जहां इस साल चुनाव है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा का कार्यकाल पूरा होने तक सरकार व संगठन में फेरबदल हो सकता है, जिसकी पूरी संभावना है।
भाजपा को अपनी रणनीति में कई राजनीतिक घटनाक्रम घटित होने के कारण परिवर्तन करने पड़ रहे हैं। हिमाचल में पूरी ताकत झोंकने के बाद भी भाजपा को हार मिली। जिसकी वजह बागी उम्मीदवार भी थे। चुनाव होने वाले राज्यों में भाजपा अभी से बागियों का तोड़ निकालने में जुट गई है। कुछ अलग व व्यक्तिगत राग अलापने वाले नेताओं पर खास वर्किंग की जा रही है, किसके नतीजे शीघ्र देखने को मिलेंगे। राजस्थान पर तो कुछ खास ही ध्यान दिया जा रहा है। यहां भाजपा को उपचुनावों में अधिकतर हार ही मिली है। सीएम पद की दौड़ में भी कई नेता है। पार्टी की जन आक्रोश रैली खास असर नहीं डाल पाई, जिसके लिए संगठन के काम की समीक्षा की जा रही है। इसलिए राजस्थान में काफी बदलाव की आहट सुनाई देने लग गई है।
दूसरा बड़ा कारण राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा है। इस यात्रा को भले ही गैर राजनीतिक कहा जा रहा है मगर इसका राजनीतिक असर साफ साफ दिख रहा है। हार से हताश कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं में यात्रा से जोश आया है, इसको भाजपा ने भी भांप लिया है। यात्रा की छांव में मध्यप्रदेश, राजस्थान व कर्नाटक की गुटबाजी में भी शीत युद्ध की स्थिति बनी है। यात्रा को जन समर्थन भी अच्छा मिल रहा है, जिससे भाजपा अलर्ट हुई है। सरकार जाने के बाद भी महाराष्ट्र में महाअगाडी गठबंधन का मजबूत बने रहना भाजपा के लिए चिंता का कारण है। इसी तरह बिहार में बना महागठबन्धन भी भाजपा की राह में मुश्किलें पैदा कर रहा है। नये कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के तीखे तेवर कांग्रेस के परिवारवाद के आरोप का जवाब बन रहे हैं। कश्मीर में भी गुलाम नबी के साथ कांग्रेस छोड़कर जाने वाले अधिकतर नेता 2 महीने बाद वापस पार्टी में लौट आये हैं और गुलाम नबी की पार्टी खाली हो गई है।
इन राजनीतिक घटनाओं से भाजपा को नये तरीके से अपनी रणनीति बनानी पड़ रही है। गृह मंत्री अमित शाह उन राज्यों के दौरे पर निकल गये हैं जहां इस साल चुनाव होने हैं। कई केंद्रीय मंत्रियों को भी इन राज्यों में जाने का निर्देश दिया गया है। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार कुछ केंद्रीय मंत्रियों को सरकार से हटाकर संगठन में उपयोग करने की तैयारी है। कुछ राज्यों में पार्टी के मुखिया बदले जाने की पूरी संभावना है। सरकार से हटने वाले मंत्रियों को राष्ट्रीय संगठन में महत्त्वपूर्ण जिम्मेवारी मिलना तय है।
मल मास समाप्त होने के बाद सरकार व संगठन में भाजपा बड़े बदलाव करेगी, ये राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है। क्योंकि भाजपा 2024 के आम चुनाव की तैयारी भी अभी से शुरू कर रही है। कमजोर संसदीय क्षेत्रों की सूची बनाई गई है, जहां लगातार केंद्रीय मंत्रियों को बारीबारी से तीन तीन दिनों का प्रवास करना पड़ेगा। देश की राजनीति में इस महीने से बड़ी राजनीतिक उठापटक के आसार हैं।


– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार