राहुल की भारत जोड़ो यात्रा के अंतिम चरण में अलवर के सर्किट हाउस में हुई बंद कमरे की बैठक ने राजस्थान की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत दिया है। उसको लेकर राजनीतिक हल्के में कई नये कयासों ने जन्म लिया है। बंद कमरे की इस बैठक में राहुल ने राजस्थान कांग्रेस विवाद में सीधे दखल दिया है। एक बैठक उन्होंने अशोक गहलोत व सचिन पायलट के साथ की तो दूसरी बैठक में पीसीसी अध्यक्ष सहित कई अन्य नेताओं से बात की। हालांकि अधिकृत रूप से कोई बात सार्वजनिक नहीं हुई मगर कयास यही लगाया जा रहा है कि कोई बीच का रास्ता निकाला गया है।
महत्त्वपूर्ण बात ये है कि अलवर में पहले हुई आम सभा में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी भाग लिया। जो लगातार राहुल से बात भी करते रहे। क्योंकि कांग्रेस अनुशासन समिति अपनी रिपोर्ट उनको सौंप चुकी है। इस समिति ने ही मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी व धर्मेंद्र सिंह राठौड़ को दिए गए अनुशासनहीनता नोटिस पर छानबीन की है और अपनी रिपोर्ट खड़गे को दी है। जिसका जिक्र जाहिर है खड़गे व राहुल के बीच हुई बातचीत में हुआ है। उसके बाद ही राहुल ने अलग से गहलोत व पायलट से अकेले बात की है। दूसरे नेताओं की राय ली है। यात्रा के मध्य राहुल अलग अलग रूप से विधायकों और मंत्रियों से भी बात करते रहे हैं, जिसे रायशुमारी माना जा रहा है। एक फीड बेक राहुल के पास बैठक से पहले था।
राजस्थान कांग्रेस का ये विवाद लंबे अर्से से चल रहा है और आलाकमान अनिर्णय की स्थिति में है। इस विवाद का असर सरकार व प्रशासन पर भी साफ दिख रहा है, उसी ने कांग्रेस आलाकमान की चिंता बढ़ाई है। वो अब अधिक लम्बा इस विवाद को खींचना नहीं चाहता क्योंकि अगले साल ही इस राज्य में विधानसभा चुनाव भी है।
कांग्रेस राज्य में फिर से रिपीट की ईच्छा रखती है और ये तभी सम्भव है जब दोनों गुट एक हों। पार्टी मान चुकी है कि पार्टी के लिए गहलोत व पायलट, दोनों की अपनी महत्ता है। किसी को भी छोड़ा नहीं जा सकता। और विवाद इतना बढ़ चुका है कि दोनों को खुश रखने वाला निर्णय सम्भव नहीं। इसी परेशानी से आलाकमान को निर्णय लेने में देरी हो रही है और खड़गे व राहुल को दखल करना पड़ रहा है। उसी के चलते अलवर के सर्किट हाउस में राहुल ने इन दोनों नेताओं के साथ लम्बी चर्चा की। कुछ तो अमृत इस मंथन से निकला ही होगा। अब उसे अमली जामा पहनाना जरूरी है। जाहिर है एकजुटता के लिए दोनों नेताओं को कुछ कुछ तो झुकना पड़ेगा।
कांग्रेस को इस बात का पता है कि राजस्थान में भाजपा की भी अच्छी स्थिति नहीं है, वो भी गुटों में बंटी है। जिसका लाभ लेकर अगला चुनाव जीता जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में जीत के बाद कांग्रेस को इसी कारण राजस्थान में बेहतर स्थिति लग रही है। भाजपा हिमाचल अपने ही असंतुष्टों के कारण हारी, जिसमें आपसी टकराहट ही हार का कारण बनी। इसीलिए कांग्रेस चाहती है कि भाजपा अपनी गुटबाजी को समेटे, उससे पहले चुनाव जीत का मार्ग तय कर लिया जाये। जबकि भाजपा पहले ही पीएम के चेहरे पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है।
कांग्रेस के गहलोत व पायलट के मध्य का विवाद क्या परिणीति पायेगा, इसका पता तो 23 तारीख को लगेगा। अनुशासन समिति की रिपोर्ट पर इसी दिन दिल्ली में खड़गे बैठक कर रहे हैं और अपना निर्णय देंगे। कांग्रेस के नये राज्य प्रभारी रंधावा इस बैठक में निर्णय होने का बयान दे चुके हैं। अब राजस्थान के दोनों गुटों की नजर 23 की बैठक पर है। इसी कारण तय माना जा रहा है कि 23 की बैठक के बाद राजस्थान कांग्रेस को लेकर बड़े निर्णय होंगे। तब तक राहुल की भारत जोड़ो यात्रा भी राजस्थान से हरियाणा में प्रवेश कर चुकी होगी। मगर इतना तय है कि अब राजस्थान कांग्रेस का विवाद लम्बा नहीं खिंचेगा, उसका कोई न कोई हल जरूर निकलेगा।

  • मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
    वरिष्ठ पत्रकार