– विधायक कालीचरण सर्राफ, भाजपा पूर्व शहर अध्यक्ष संजय जैन, अधिवक्ता सुधांशु कासलीवाल ने लिया आचार्य सौरभ सागर का आशीर्वाद

जयपुर। राजधानी के दक्षिण भाग स्थित प्रताप नगर के सेक्टर 8 में शुक्रवार से प्रारंभ हुए पंच दिवसीय मज्जाजिनेन्द्र महाअर्चना विधान पूजन के दूसरे दिन का आयोजन अनुष्ठान स्थल पर श्रीजी के स्वर्ण एवं रजत कलशों से कालशाभिषेक कर प्रारंभ हुआ, इसके पश्चात श्रावकों ने सम्पूर्ण विश्व में फैली अशांति को समाप्त करने की प्रार्थना के साथ आचार्य सौरभ सागर के मुखारविंद भव्य शांतिधारा कर अर्घ चढ़ा मंगल कामना की। प्रातः 7.30 बजे सिद्ध परमेष्ठि की भजनों और जयकारों के साथ आराधना व विधान पूजन प्रारंभ हुई, जिसमें पूजन में सम्मिलित सैकड़ों श्रावक और श्राविकाओं ने सिद्ध भगवान के जयकारों के साथ जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, नेवेघ, दीप, धूप, फल के साथ श्रद्धा के भावों को धारण किया और कर्मों की निर्जरा के लिए अष्ट द्रव्यों के साथ विधानपूजन में अर्घ चढ़ाएं, इस दौरान श्रावकों ने भजन, भक्ति के साथ हाथों में चवर लेकर जिनेन्द्र प्रभु की भक्ति की।

कार्याध्यक्ष दुर्गालाल जैन ने बताया की शनिवार को महोत्सव के दौरान विधायक कालीचरण सर्राफ, भाजपा पूर्व शहर अध्यक्ष संजय जैन, श्री महावीर जी तीर्थ क्षेत्र कमेटी अध्यक्ष अधिवक्ता सुधांशु कासलीवाल, मयंक जैन, आलोक जैन तिजारिया, मनोज झांझरी सहित विभिन्न समाज श्रेष्ठियों ने आचार्य श्री को श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। जिनका स्वागत सम्मान श्री पुष्प वर्षायोग समिति के गौरवाध्यक्ष राजीव जैन गाजियाबाद वाले, अध्यक्ष कमलेश जैन, मंत्री महेंद्र जैन, मुख्य समन्वयक गजेंद्र बड़जात्या और प्रचार संयोजक सुनील साखुनियां द्वारा किया गया। इस दौरान प्रातः 8.30 बजे आचार्य सौरभ सागर महाराज ने मंगल आशीर्वचन दिए जिसका लाभ सभी अतिथियों सहित श्रद्धालुओं और श्रावकों ने लिया।

कर्मों की निर्जरा के लिए धर्म के मार्ग पर चलो, संस्कारों का अनुसरण प्रतिदिन करों – आचार्य सौरभ सागर

शनिवार को आचार्य सौरभ सागर ने अपने आशीर्वचनों में कहा की – सरल और सफल जीवन प्रत्येक प्राणी का लक्ष्य है, इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रत्येक प्राणी को अपने कर्मों की निर्जरा प्रतिदिन करनी चाहिए और धर्म के मार्ग पर चलकर प्रतिदिन संस्कारों का अनुसरण करना चाहिए, तभी सरल और सफल जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति संभव है। परिश्रम तो सभी प्राणी करते है किंतु जो प्राणी परिश्रम को श्रद्धा के साथ अपने भावों में उतारते है वही प्राणी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति कर पाते है। आज के दौर में प्राणी कर्मों की निर्जरा की प्रार्थना करने की बजाय मोह, माया में पहुंचने का लक्ष्य बनाता है जो व्यर्थ है। मोह, माया प्राणी को केवल अहंकारी और स्वार्थी बनने का लक्ष्य प्राप्त करवाता है और धर्म व संस्कार प्राणी अजर-अमर होने के सुख की प्राप्ति करवाता है। प्रत्येक प्राणी को अगर जीवन में कोई लक्ष्य निर्धारित करना है तो केवल धर्म के मार्ग पर चलने और संस्कारों के अनुसरण करने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।