सिद्धू प्रधान बने तो हरियाणा में मजबूत हो जाएंगी कु शैलजा ।
रिपोर्ट – धर्मपाल वर्मा

चंडीगढ़।पंजाब में चुनाव से पहले कांग्रेस की सियासत कुछ इस तरह से गरमा गई है कि कॉन्ग्रेस संगठन और सरकार दोनों की बागडोर पटियाला के रहने वाले 2 जट सिक्ख नेताओं को सौंपती नजर आ रही है। कांग्रेस पंजाब में ऐसी स्थिति में आ गई है कि बात को सिरे चढ़ाने के लिए पार्टी हाईकमान के रणनीतिकारों और पंजाब कांग्रेस के प्रभारी को पसीने छूट रहे हैं ।एक तरफ कांग्रेस के सारे बड़े नेता और नवजोत सिंह सिद्धू अपने मकसद में कामयाब होते दिख रहे हैं दूसरी तरफ कुछ बड़ी चुनौतियां कांग्रेस के सामने मुंह बाए खड़ी दिख रही हैं ।

यदि कांग्रेस आजकल में ही अपने फार्मूले को सार्वजनिक करना चाहती है और संगठन में फेरबदल करने को तैयार है तो उसे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की शर्तें भी माननी होंगी यदि यह शर्तें नहीं मानी गई तो कांग्रेस को और भी बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।यदि सारी चीजें सही हो गई फिर भी नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस को मजबूत करने, पंजाब में फिर से कांग्रेस की सरकार बनाने में सफल हो जाएंगे यह कहना अभी बहुत मुश्किल है क्योंकि चुनौतियां बहुत बड़ी-बड़ी हैं ।अभी पंजाब में मंत्रिमंडल का फेरबदल भी होना है और नवजोत सिंह सिद्धू व कैप्टन अमरिंदर सिंह में तालमेल अभी बाकी है। एक तरफ लगता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी हाईकमान की गुगली में फंस गए हैं लेकिन अंतिम क्षणों मे कैप्टन ने भी एक ऐसी गूगली फेंक दी है जो बहुत खतरनाक साबित हो सकती है।

पंजाब मे कांग्रेस की स्थिति कुछ ऐसी लग रही है कि हाई कमान में सिद्धू को अध्यक्ष बनाने का फैसला ले लिया है केवल विधिवत घोषणा बाकी है। फॉर्मूला कुछ इस तरह का बताया गया कि संगठन में सिद्धू के साथ 3 कार्यकारी अध्यक्ष बनेंगे और उनके नाम कैप्टन अमरिंदर सिंह तय करेंगे ।इस मामले में वर्ग धर्म क्षेत्र का ध्यान रखा जाएगा ।
इसके अलावा मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा वह भी इस तरह से कि एक बार खारा मंत्रिमंडल त्यागपत्र देगा फिर नए सिरे से मंत्री बनेंगे ।
यहां तक कि मौजूदा स्पीकर को मंत्री बनाया जा सकता है । डिप्टी स्पीकर भी बदला जा सकता है कुछ मंत्रियों को ड्रॉप किया जा सकता है कुछ विधायक पहली बार मंत्री बन सकते हैं ।इस मामले में भी जातीय समायोजन के साथ-साथ क्षेत्रवाद को भी अहमियत दी जा सकती है।
जिस तरह से नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस के नेताओं से घर-घर जाकर मिल रहे हैं ,यह इस बात का संकेत है कि हाईकमान ने उन्हें हरी झंडी दे दी है और वह भी यह कह कर कि और जो होगा देखा जाएगा, नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस के नएअध्यक्ष जरूर होंगे।
अब मिलने मिलाने की बात की जाए तो सबसे महत्वपूर्ण मिलन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू का होना है। सिद्धू प्रधान बनने से पहले ही सही कैप्टन से मिलना और उनका आशीर्वाद लेना चाहते हैं । कैप्टन सिद्धू को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते परंतु पता चला है कि फोन पर हुई बात के बाद यह बात सामने आई है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनसे मिलने की शर्त रख दी है और शर्त यह है कि पहले सिद्धू उनके खिलाफ कही गई बातों के लिए सार्वजनिक माफी मांगे ट्वीट करें फिर उनसे मिलने आए। अमरिंदर सिंह की यह गुगली सिद्धू समझ पाएंगे या नहीं वह इस शर्त को मान पाएंगे या नहीं यह बहुत महत्वपूर्ण हो गया है ।

क्योंकि सिद्धू पंजाब की जनता में यह संदेश लगातार देते आ रहे हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कुछ बड़ी गलतियां की हैं। अब समझने की बात है कई बार व्यक्ति शर्तअपने अहम की संतुष्टि के लिए रखता है तो कई बार सामने वाले को बोल्ड करने के लिए ।अब सामने वाला इसे कैसे फेस करता है यह बात उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है ।देखने वाली बात यह है कि सिद्धू माफी मांगते हैं या नहीं।
जानकार मानकर चल रहे हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह अनुभवी राजनीतिज्ञ तो है ही वेद कूटनीति भी खूब जानते हैं ।उन्होंने यह शर्त बहुत सोच समझ कर रखी है। इससे वे यह कहकर हाईकमान की नाराजगी से भी बच गए कि उन्हें सिद्धू प्रधान के रूप में मंजूर है । वे कांग्रेस हाईकमान के आदेश की पालना करेंगे लेकिन उन्होंने लेकिन परंतु का सवाल उठाकर एक तरह से सिद्धू ही नहीं पार्टी हाईकमान को भी उलझा कर रख दिया है। ऐसे में सिद्धू माफी मांगेंगे तो कुछ और बात होगी ,नहीं मांगेंगे तो कुछ और । ऐसी परिस्थितियों में जब लोहा गरम होता है तो वह कोई भी स्वरूप ले लेता है जरूरत कार्रवाई की होती है।
अब देखना यह है कि सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह आपस में कैसे निपटते हैं ।
वैसे कांग्रेस के नेताओं ने पटियाला को अहमियत दी है उस पर लोग विचार जरूर कर रहे हैं। विचार यह की पटियाला अपने आप में ही पंजाब की राजनीति में अहमियत रखता आया है ।यह वह शहर है जो पेप्सू स्टेट की राजधानी रहा है । जिसके नाम पर मयखानों में पैग बनते हैं । जिसके नाम पर महिलाओं के परिधान प्रचलित हो जाते हैं।। कांग्रेस ने पंजाब की जनता और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को एक नहीं दो दो पटियाला पैग
थमाने की कोशिश कर दी है जो उन्हें मदहोश कर सकती है। पंजाब कांग्रेस के जो हालात हैं उसे देख कर एक बात डंके की चोट पर कही जा सकती है कि सिद्धू के अध्यक्ष बनने के बाद जहां उनकी अगली राह बहुत कठिन हो जाएगी वहीं पंजाब में कांग्रेस मैं दो पावर सेंटर को जाने की कारण पार्टी के दो धड़ों
में बटने की आशंका पैदा हो जाएगी । एक सिद्धू का धड़ा और एक कैप्टन का ।

मंत्रिमंडल के विस्तार मतलब पुनर्गठन के वक्त और चुनाव मे टिकटों के बंटवारे के समय और फिर चुनाव में कांग्रेस को एक रखना कांग्रेस और उसके प्रदेश अध्यक्ष के लिए बहुत कठिन काम हो जाएगा ।लेकिन ऐसी परिस्थितियों मे भी सिद्धू ने खुद को श्रेष्ठ साबित कर दिया तो फिर पंजाब में कांग्रेस की सरकार आने से कोई नहीं रोक पाएगा और यहां कार्रवाई का सीधा असर हरियाणा में कांग्रेस पर भी पड़ेगा। इससे हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा को अप्रत्याशित लाभ हो सकता है जिससे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के धड़े में निराशा देखने को मिलेगी।