साहित्य व्यक्ति को संवेदना से ओत-प्रोत करता है- जिला कलेक्टर

पीढियों को अच्छा साहित्य पढ़ने की आदत डालें-पुलिस अधीक्षक

धौलपुर, । जिला कलेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल ने कहा कि अच्छा साहित्य मानव में नैतिक मूल्यों का विकास करता है, उन्होंने ईदगाह जैसी कहानियों का उद्धरण करते हुए कहा कि जीवंत साहित्य का सतत अध्ययन व्यक्ति को संवेदना से ओत-प्रोत करता है। जिला कलेक्टर राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के बैनर तले आयोजित पत्रकारिता, साहित्य और संस्कृति विषय पर आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे।

पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार ने कहा कि आज के इस डिजिटल युग में युवा पीढ़ी पुस्तकों व साहित्य से दूर होती जा रही है और पुस्तकों को पढ़ने के प्रति रुझान समाप्त हो रहा है, जिससे युवा भटक रहा है और वह अपने परम्परागत मौलिक संस्कार, सामाजिक व नैतिक मूल्यों को भूलता जा रहा है। हालात ये हैं कि जैसा हम अपने परिवार व समाज में देखते हैं वही नई पीढ़ी अपने आचरण में ढाल रही है। जैसा हम करेंगे वैसा ही आने वाला भविष्य बनेगा। इसीलिए हमें हमारे सांस्कृतिक व सामाजिक मूल्यों को नहीं भूलना चाहिए। हमें आगे आनी वाली पीढ़ियों में अच्छा साहित्य पढ़ने की आदत डालनी होगी।

फोरम के संस्थापक अनिल सक्सेना ने बताया कि फोरम पत्रकारों, साहित्यकारों तथा कलाकारों के लिए वैचारिक क्रांति का सशक्त मंत्र है। फोरम द्वारा राज्य की सभी विधानसभा क्षेत्रों में पत्रकारिता और साहित्य संवर्धन की दृष्टि से कार्यक्रम किए जा रहे हैं। फोरम भारतीय साहित्य के उच्च मानदंड स्थापित करने और मिशन पत्रकारिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राजस्थान के प्रत्येक जिले में परिचर्चाओं का आयोजन कर रहा है।

सक्सेना ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है। सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक पक्षों का यथार्थ चित्रण ही सच्चा साहित्य है। उन्होंने कहा कि यही सत्य है कि साहित्य अतीत से प्रेरणा लेता है, वर्तमान को चित्रित करता है और भविष्य का सशक्त मार्गदर्शन करता है।

पत्रकारिता पेशे के साथ एक सामाजिक जिम्मेदारी है।

समसामयिक संदर्भ में पत्रकारिता और साहित्य के वर्तमान सरोकारों पर सारगर्भित उद्बोधन देते हुए आजादी के समय की पत्रकारिता और आज की पत्रकारिता के संबंध में तुलनात्मक परिवर्तन के प्रभावों को संकेतित करते हुए कहा कि देश की आजादी में पत्रकारिता का अमूल्य योगदान रहा है। उस समय मिशन भावना से समाजोन्मुखी निःस्वार्थ भाव की पत्रकारिता होती थी जिसमें सिर्फ आजादी के लक्ष्य को भी ध्यान में रखकर समाचार पत्र प्रकाशित होते थे लेकिन परवर्ती कालखण्ड में क्रमिक रूप से यह क्षेत्र राष्ट्र के विकास के लक्ष्य से भटक गई। आज हम देखते हैं तो पाते हैं कि कई बड़े समाचार पत्र व्यवसायिक घरानों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं जो एक तरफा दृष्टिकोण को अपनाकर उन्हीं का सायास प्रचार-प्रसार करने में जुटे हुए हैं।

पूर्व डीजीपी पवन जैन ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कालजयी साहित्य का निरंतर अभाव हो रहा है। युवा पीढ़ी को साहित्य से जोड़े रखे जाने का रास्ता दुर्गम दिख रहा है। उन्होंने पत्रकारिता में गिरते मूल्यों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नई पीढ़ी को प्रलोभनों में नहीं पड़कर मर्यादा की भाँति मिशन पत्रकारिता की रक्षा करनी चाहिए।

साहित्यकार आई पी सिंह ने कहा कि धौलपुर की धरा विभूतियों की जननी रही है। धौलपुर के साहित्यकारों पर शोध कार्य किये जा चुके हैं। वरिष्ठ साहित्यकार पवित्र कुमार शर्मा ने भारतेंदु हरिशचंद्र से लेकर अज्ञेय तक हिंदुस्तानी साहित्य के विकास पर प्रकाश डाला। हिन्दुस्तानी पत्रकारिता और साहित्य को एक दूसरे का पूरक बताते हुए उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को मिशन मानकर कार्य करने के कारण ही इसे गणतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है।

कार्यक्रम में कवि मनोज कुमार बेचैन, पत्रकार वेदप्रकाश तिवारी, शिक्षाविद गोविंद गुरु समेत अन्य पत्रकार एवं साहित्यकारों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन मोरध्वज सिंह ने किया।