बीकानेर, 31 जनवरी। ऊर्जा, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि हमारे पास जो धन है हम उसके ट्रस्टी हैं और इसके नाते हमें उतना ही धन अपने उपयोग के लिए रखना चाहिए जितनी हमें जरूरत है। आवश्यकता पूर्ण होने के बाद जो पैसा है वह गरीब और जरूरतमंद व्यक्तियों को उपलब्ध करवा देना चाहिए। ट्रस्टी की इसी भावना को ध्यान में रखते हुए बिहानी परिवार द्वारा अपनी गाढी कमाई के पैसे से एक बडी राशी खर्च कर निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन कर गरीब लोगों के इलाज के लिए जो यह शिविर लगाया हैं वह अपने आप में एक अनुकरणीय और प्रेरणा की मिशाल है।
डाॅ. कल्ला बीकानेर जिला उद्योग संघ एवं बिहानी परिवार के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित एक दिवसीय निःशुल्क शिशु रोग, हृदय रोग, गुर्दा रोग, स्पाइन एवं दंत रोग के उपचार के लिए उद्योग भवन में शुक्रवार को लगाएं चिकित्सा शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। डॉ कल्ला ने कहा कि जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति किसी का भी ऋण उतार सकता है मगर माता का ऋण उतारना असंभव है। लेकिन जिन मां बाप के बच्चे इस तरह के चिकित्सा शिविर लगाकर गरीबों की सेवा करते हैं वह अपने आप में एक अनूठा प्रयास है, इसके माध्यम से नर सेवा नारायण सेवा कर वे अपने मां-बाप के प्रति कृतज्ञता जाहिर करते है। उन्होंने कहा कि परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं और परहित के कार्य करने वाले व्यक्तियों से भी बड़ा कोई दानी नहीं होता।

निःशुल्क चिकित्सा शिविर में ओम थानवी, कुलपति हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय ने कहा कि माता पिता का सेवा ही भगवान की सेवा होती है। प्रत्येक मानव में ईश्वर का वास होता है। उन्होंने गांधी जी की 150 वीं जयंती के बारे में कहा कि उनके द्वारा किए गए कार्यों से लोगों को सीख लेनी चाहिए और मानव सेवा से जुडे परोपकार के कार्य करने चाहिए।
इस अवसर पर डाॅ. विनोद बिहानी ने कहा कि इस एक दिवसीय शिविर में रोगियों को चिन्हित करने एवं जो इलाज और जांच यहां हो सकती है वह की जाएंगी तथा स्पाइनल के रोगी की अगर शल्य चिकित्सा करनी होगी तो वह भी निशुल्क की जाएंगी। इस अवसर पर चिकित्सकों एवं विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों का अभिनन्दन पत्र, शाॅल ओढाकर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। अभिनन्दन पत्र का वाचन रविन्द्र हर्ष ने किया। चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ सहित सभी का आभार द्वारकादास पच्चीसिया ने व्यक्त किया।