पटना , अनमोल कुमार
इस स्टोरी को जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि लोगों का विश्वास मानवीयता समाज सेवा तथा निस्वार्थ भावना से न डिगे.साथ ही संकट काल में लोगों तक भोजन सहायता पहुंचाने वाले लोगों का मनोबल बढ़ाया जा सके यूं तो कोरोना संकट में बिहार की राजधानी पटना में आम जनों की सेवा करने वाले लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी भीड़ के बीच जो लोग इमानदारी पूर्वक कार्य कर रहे थे और जिनके देखा देखी कई सारे संगठन व लोग आगे आए उनकी पड़ताल करना भी जरूरी है आज आपको हम ऐसी ही दो साहसी महिलाओं से मिलवाने जा रहे हैं जिनका नाम है पल्लवी सिन्हा व अमृता सिंह जो बिहार की राजधानी पटना में जरूरतमंद लोगों को अनाज नगद राशि दवाएं उपलब्ध करवा रही थी। ऐसा नहीं है कि ये दोनो कोरोना काल में ही पटना वासियों की सहायता के लिए आगे आई गत वर्ष सितंबर में जब पूरा पटना जल प्रलय का शिकार हुआ था तब भी यह लोग सबसे ज्यादा बेहतर कार्य कर रहे थे लोगों के पुनर्वास के लिए इन्होंने सैकड़ो झोपड़िया 1 सप्ताह के अंदर तैयार करवा दी तथा लोगों के लिए भोजन पानी की व्यवस्था की थी.लगातार 1000 दिनों तक पटना के पीएमसीएच में ₹5 वाले साई की रसोई का सफल संचालन इन दोनों महिलाओं ने किया. इनके साई रसोई से ही प्रेरणा लेकर बिहार के बेगूसराय और अन्य शहरों में साईं की रसोई शुरू हुई इसकी चर्चा अब देश के प्रधानमंत्री मन की बात में कर रहे हैं.नव अस्तृत्व फाउंडेशन के माध्यम से पूरे बिहार में इन्होंने सेनेटरी नैपकिन के लिए अभियान भी चलाया जिसके बाद मीडिया के द्वारा पैड वुमनिया का नाम दिया गया. पटना जंक्शन और पटना एयरपोर्ट पर पैड मशीन भी इन लोगों के द्वारा लगाया गया. कहानी यहीं खत्म नहीं होती असल कहानी यहा से शुरू होती है . संकट काल में जब सारे समाज सेवी गरीब लोगों में ही राहत सामग्री बांट रहे हैं.वहीं अमृता व पल्लवी ऐसे लोगों की भी सहायता कर रही थी जो मध्यम वर्ग के लोग हैं तथा लोक लाज के कारण किसी से मदद नही मांग सकते जो भूखे रहना मंजूर कर सकते हैं पर किसी के आगे हाथ नही फैला सकते. ऐसे लोगों को गुप्त रूप से इनके द्वारा खाने-पीने की वस्तुएं नगद राशि व अन्य वस्तुएं भी पहुंचाया जा रहा था साथ ही साथ इनके द्वारा हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया था।
जिसके माध्यम से मध्यम वर्ग के जरूरतमंद लोग बेहिचक सहायता प्राप्त कर सकते थे शहर के शोर में आम आदमी की सेवा में जुटी इन दो साहसी महिलाओं को देखकर एक सलाम तो जरूर बनता है l